Nafli Ibadat Ka Sawab

Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab

अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! मैं रोज़ादार हूं । तो रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : हम   अपनीरोज़ी खा रहे हैं और बिलाल का रिज़्क़ जन्नत में बढ़ रहा है । ऐ बिलाल ! क्या तुम्हें ख़बर है कि जब तक रोज़ादार के सामने कुछ खाया जाए, तब तक उस की हड्डियां तस्बीह़ करती हैं और फ़िरिश्ते उस के लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं (شعب الایمان،باب فی الصیام،فضائل الصوم،۳ /۲۹۷،حدیث: ۳۵۸۶)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अभी हम ने नफ़्ली इ़बादात के फ़ज़ाइल और नफ़्ली इ़बादात बजा लाने वाले बुज़ुर्गों के वाक़िआ़त सुने । आइए ! अब आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के महीने यानी शाबान में नफ़्ली इ़बादात करने के तअ़ल्लुक़ से ह़िकायात व रिवायात और दीगर अहम निकात सुनते हैं । चुनान्चे,

फ़ज़ीलतों वाली रात

          ह़ज़रते उबैय बिन काब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : मेरे पास ह़ज़रते जिब्रील عَلَیْہِ السَّلَام शबे बराअत में ह़ाज़िर हुवे और मुझ से कहा : उठ कर नमाज़ अदा फ़रमाइए । मैं ने पूछा : ऐ जिब्रील ! येह कैसी रात है ? अ़र्ज़ की : ऐ मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم) ! येह वोह रात  है कि जिस में आसमान और रह़मत के 300 दरवाज़े खोल दिए जाते हैं । अल्लाह पाक के साथ शरीक ठेहराने वालों, आपस में बुग़्ज़ो कीना रखने वालों, शराबियों और बदकारों के इ़लावा सब की मग़फ़िरत कर दी जाती है, इन लोगों की उस वक़्त तक मग़फ़िरत नहीं होगी जब तक कि वोह सच्ची तौबा न कर लें । अलबत्ता शराब के आ़दी के लिए रह़मत के दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा खुला छोड़ दिया जाता है, यहां तक कि वोह तौबा कर ले, तो जब वोह तौबा कर लेता है, तो उस की मग़फ़िरत कर दी जाती है । इसी त़रह़ कीना रखने वाले के लिए भी रह़मत के दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा खुला छोड़ दिया जाता है, यहां तक कि वोह अपने साथी (यानी जिस से कीना रखता है) से कलाम न कर ले, जब वोह उस से कलाम कर लेता है, तो उस की भी मग़फ़िरत कर दी जाती है । ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : ऐ जिब्रील ! अगर वोह अपने साथी से कलाम न करे, यहां तक कि शबे बराअत गुज़र जाए तो...? ह़ज़रते जिब्रील عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : अगर वोह इसी ह़ालत पर बर क़रार रहा, यहां तक कि (नज़अ़ का आ़लम त़ारी होने के सबब) उस के सीने में सांस अटकने लग जाए, तो उस के लिए भी दरवाज़ए रह़मत खुला रेहता है, अगर वोह (मौत से पेहले कीनए मुस्लिम से) तौबा कर ले, तो उस की तौबा मक़्बूल है । येह सुन कर ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم जन्नतुल बक़ीअ़ की त़रफ़ तशरीफ़ ले गए और सजदे में जा कर इन अल्फ़ाज़ में दुआ़ मांगी :

اَعُوْذُ بِعَفْوِكَ مِنْ عِقَابِكَ وَاَعُوْذُ بِرِضَاكَ مِنْ سَخَطِكَ وَاَعُوْذُ بِكَ مِنْكَ جَلَّ ثَنَاؤُكَ