Nafli Ibadat Ka Sawab

Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab

दरयाए रह़मत इस क़दर जोश में आता है कि रब्बे काइनात अपने बन्दों के लिए रह़मत के 300 दरवाज़े खोल देता है और अल्लाह करीम के मासूम फ़िरिश्ते इस रात रुकूअ़ व सुजूद और नफ़्ल इ़बादत करने, दुआ़ओं में मश्ग़ूल रेहने और गिर्या व ज़ारी करने वालों को ख़ुश ख़बरियां सुनाते हैं ।

          इस अ़ज़ीम रात की अ़ज़मत की वज्ह से नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم 15 शाबानुल मुअ़ज़्ज़म की रात कभी जन्नतुल बक़ीअ़ के क़ब्रिस्तान तशरीफ़ ले जाते और वहां बारगाहे इलाही में सजदे की ह़ालत में गिर्या व ज़ारी फ़रमाते और कभी दौलतख़ाने ही में नवाफ़िल व दुआ़ वग़ैरा में मश्ग़ूल रहा करते । जैसा कि : उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते आ़इशा सिद्दीक़ा, त़य्यिबा, त़ाहिरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا बयान फ़रमाती हैं : كَانَ رَسُوْلُ اللهِ صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم يَدْعُوْ وَهُوَ سَاجِدٌ لَيْلَةَ النِّصْفِ مِنْ شَعْبَانَ निस्फ़ शाबान की रात मेरे सरताज, साह़िबे मेराज صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم सजदे की ह़ालत में दुआ़एं मांगा करते थे । (کنز العمال،کتاب الفضائل،باب فضل الازمنۃ،لیلۃ النصف من شعبان،الجزء:۱۴،۷/۷۹،حدیث:۳۸۲۸۸)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! याद रहे ! मालिके कौनैन, रह़मते दारैन صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का इस मुक़द्दस शब में ख़ुसूसिय्यत के साथ नफ़्ल इ़बादात बजा लाना और अल्लाह करीम के अ़ज़ाब और उस की नाराज़ी से पनाह त़लब करना तालीमे उम्मत के लिए था ताकि आप की उम्मत भी आप की पैरवी करते हुवे इस शब में ज़ियादा से ज़ियादा नफ़्ल इ़बादात बजा लाए और अल्लाह करीम की बारगाह से मिलने वाले इन्आ़मात और रह़मतों के फ़ैज़ान से हरगिज़ हरगिज़ मह़रूम न रहे । आप का तौबा व इस्तिग़फ़ार फ़रमाना नीज़ रब्बे करीम की नाराज़ी और उस के ग़ज़ब से पनाह मांगना हरगिज़ हरगिज़ आप से مَعَاذَ اللّٰہ गुनाहों के सादिर हो जाने के सबब न था क्यूंकि न सिर्फ़ नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم बल्कि तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام, अल्लाह करीम के फ़ज़्लो करम से गुनाहों से मासूम (यानी गुनाहों से पाक) हैं कि इन से गुनाह हो ही नहीं सकते । जैसा कि :

          शारेह़े बुख़ारी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद शरीफ़ुल ह़क़ अमजदी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इरशाद फ़रमाते हैं : सारे अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام ख़ुसूसन हमारे ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم तमाम गुनाहों से मासूम हैं ।(फ़तावा शारेह़े बुख़ारी, 1 / 363) इसी त़रह़ ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ज़राते अम्बिया (عَلَیْہِمُ السَّلَام) गुनाहों से मासूम हैं कि गुनाह कर सकते ही नहीं । (मिरआतुल मनाजीह़, 3 / 364)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन हम सब बहुत ख़ुश नसीब हैं कि अल्लाह पाक ने हमें अपने मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की उम्मत में पैदा फ़रमा कर इस्लाम की दौलत से मालामाल फ़रमाया नीज़ अपने मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के सदके़ हमें शाबानुल मुअ़ज़्ज़म जैसा फ़ुयूज़ो बरकात से मालामाल मुबारक महीना अ़त़ा फ़रमाया । लिहाज़ा हमें चाहिए कि फ़राइज़ो वाजिबात की