Nafli Ibadat Ka Sawab

Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab

(8) गिर्या व ज़ारी करने वाला ख़ानदान

          ह़ज़रते क़ासिम बिन राशिद शैबानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ केहते हैं : ह़ज़रते ज़म्आ़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ मुह़स्सब में ठेहरे हुवे थे, आप की ज़ौजा और बेटियां भी हमराह थीं । आप रात को उठे और देर तक नमाज़ पढ़ते रहे । जब सह़री का वक़्त हुवा, तो बुलन्द आवाज़ से पुकारने लगे : ऐ रात में पड़ाव करने वाले क़ाफ़िले के मुसाफ़िरो ! क्या सारी रात सोते रहोगे ? क्या उठ कर सफ़र नहीं करोगे ? तो वोह लोग जल्दी से उठ गए और कहीं से रोने की आवाज़ आने लगी और कहीं से दुआ़ मांगने की, एक जानिब से क़ुरआने पाक पढ़ने की आवाज़ सुनाई दी, तो दूसरी जानिब कोई वुज़ू कर रहा होता । फिर जब सुब्ह़ हुई, तो आप ने बुलन्द आवाज़ से पुकारा : लोग सुब्ह़ के वक़्त चलने को अच्छा समझते हैं । (موسُوعَہ امام ابنِ اَبِی الدُّنیا، ۱/۲۶۱ ،رقم:۷۲)

 

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइए ! अब अह़ादीसे मुबारका की रौशनी में नफ़्ल रोज़ों के चन्द फ़ज़ाइल भी सुनते हैं । चुनान्चे,

(1) रोज़ादारों के लिए दस्तरख़ान सजाया जाएगा

          ह़ज़रते अनस رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है : क़ियामत के दिन रोज़ेदार क़ब्रों से निकलेंगे, तो वोह रोज़े की बू से पेहचाने जाएंगे, उन के लिए दस्तरख़ान और पानी के कूज़े रखे जाएंगे जिन पर मुश्क से मोहर होगी । उन्हें कहा जाएगा कि खाओ ! (क्यूंकि रोज़ा रखने की वज्ह से दुन्या में) तुम भूके थे, पियो ! (क्यूंकि रोज़ा रखने की वज्ह से दुन्या में) तुम प्यासे थे, आराम करो ! (क्यूंकि रोज़ा रखने की वज्ह से दुन्या में) तुम थके हुवे थे । पस वोह खाएंगे और पिएंगे, ह़ालांकि अभी लोग ह़िसाब की मशक़्क़त और प्यास में मुब्तला होंगे । (फै़ज़ाने रमज़ान, स. 1340)

(2) फ़िरिश्ते दुआ़ए मग़फ़िरत करते हैं

          ह़ज़रते उम्मे अ़म्मारा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا फ़रमाती हैं : ह़ुज़ूरे पाक, साह़िबे लौलाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم मेरे यहां तशरीफ़ लाए, तो मैं ने आप की ख़िदमते सरापा बरकत में खाना पेश किया । तो इरशाद फ़रमाया : तुम भी खाओ । मैं ने अ़र्ज़ की : मैं रोज़े से हूं । तो रह़मते आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : जब तक रोज़ादार के सामने खाना खाया जाता है, फ़िरिश्ते उस (रोज़ादार) के लिए दुआ़ए मग़फ़िरत करते रेहते हैं । (ترمذی،کتاب الصوم،باب ماجاء فی فضل الصائم ...الخ،۲ /۲۰۵، حدیث: ۷۸۵)

(3) रोज़ादार की हड्डियां कब तस्बीह़ करती हैं ?

          ह़ज़रते बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ, रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की ख़िदमत में ह़ाज़िर हुवे, उस वक़्त ह़ुज़ूरे पुरनूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم नाश्ता कर रहे थे । फ़रमाया : ऐ बिलाल ! नाश्ता कर लो ।