Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab
15 शाबानुल मुअ़ज़्ज़म की रात मग़फ़िरत से मह़रूम कर देने के अस्बाब, 15 शाबान के रोज़े की फ़ज़ीलत, शाबान की पन्द्रहवीं रात पढ़े जाने वाले 6 नवाफ़िल की फ़ज़ीलत और उन का त़रीक़ा, दुआ़ए निस्फ़ शाबान, आतशबाज़ी करने की मज़म्मत और आख़िर में क़ब्रिस्तान की ह़ाज़िरी के मुतअ़ल्लिक़ 11 आदाब को बयान फ़रमाया है । लिहाज़ा आज ही इस रिसाले को मक्तबतुल मदीना के बस्ते से हदिय्यतन त़लब फ़रमाइए, ख़ुद भी पढ़िए और ह़स्बे इस्तित़ाअ़त ज़ियादा तादाद में ह़ासिल फ़रमा कर ख़ैर ख़्वाही और ह़ुसूले सवाब की निय्यत से दूसरे इस्लामी भाइयों को भी तोह़फ़तन पेश कीजिए । दावते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से इस रिसाले को पढ़ा भी जा सकता है, डाउनलोड (Download) भी किया जा सकता है और प्रिन्ट आउट (Print Out) भी किया जा सकता है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! शबे मेराज, शबे बराअत, शबे क़द्र और इस त़रह़ की दीगर मुक़द्दस रातों में चूंकि आ़म त़ौर पर मसाजिद ही में शब बेदारी और इ़बादात वग़ैरा का मामूल है, लिहाज़ा मस्जिद के अदबो एह़तिराम का ख़ास ख़याल रखते हुवे हंसी मज़ाक़, शोरो ग़ुल और फ़ुज़ूल गप्पियों बल्कि दुन्यावी बातों से भी परहेज़ करना चाहिए । इसी त़रह़ इन मुबारक अय्याम के ख़ुसूसी फ़ज़ाइलो बरकात ह़ासिल करने के लिए कसीर आ़शिक़ाने रसूल नफ़्ल रोज़े रखने की भी सआ़दत ह़ासिल करते हैं । अगर सह़री व इफ़्त़ारी का इन्तिज़ाम ऐ़ने मस्जिद में ही हो, तो बहुत ज़ियादा एह़तियात़ की ह़ाजत है कि दौराने सह़री व इफ़्त़ारी मस्जिद की किसी भी त़रह़ से बे अदबी न हो, फ़र्शे मस्जिद और मस्जिद की दरियों को आलूदा होने से बचाया जाए, मस्जिद को हर लिह़ाज़ से साफ़ सुथरा रखा जाए ताकि नमाज़ियों को किसी भी क़िस्म की दुशवारी न हो और मस्जिद की बे अदबी से भी बचा जा सके । इसी त़रह़ बच्चों के शोर शराबे से भी मस्जिद को बचाया जाए ।
मसाजिद में दुन्यावी बातें होंगी
सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : एक ज़माना ऐसा आएगा يَكُوْنُ حَدِيْثُهُمْ فِیْ مَسَاجِدِهِمْ فِیْ اَمْرِ دُنْيَاهُمْ कि मसाजिद में दुन्या की बातें होंगी, فَلَا تُجَالِسُوْهُمْ فَلَيْسَ لِلّٰہِ فِيْهِمْ حَاجَةٌ तुम उन के साथ न बैठना कि अल्लाह पाक को उन से कुछ काम नहीं । (شعب الایمان، باب فی الصلوات، فصل المشی الی المساجد،۳/۸۶، حدیث:۲۹۶۲)
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीस की शर्ह़ में फ़रमाते हैं : अल्लाह (पाक) उन पर करम न करेगा, वरना रब्बे करीम को किसी बन्दे की ज़रूरत नहीं, वोह ज़रूरतों से पाक है । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 457)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बद क़िस्मती से मस्जिद में दुन्या की बातें करना आ़म होता जा रहा है, आज कल मस्जिद में बैठ कर इन्तिहाई बेबाकी और ग़ैर सन्जीदगी से न सिर्फ़ दुन्यावी