Nafli Ibadat Ka Sawab

Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा अह़ादीसे मुबारका से शाबानुल मुअ़ज़्ज़म में नफ़्ल इ़बादत की तरग़ीब के साथ साथ येह भी मालूम हुवा कि इस महीने में साल भर के आमाल अल्लाह पाक की बारगाह में पेश किए जाते हैं । यूं समझिए कि आमाल नामों की तब्दीली के एतिबार से 14 शाबानुल मुअ़ज़्ज़म साल का आख़िरी दिन और 15 शाबानुल मुअ़ज़्ज़म साल का पेहला दिन होता है, लिहाज़ा हमें चाहिए कि बिल उ़मूम शाबानुल मुअ़ज़्ज़म के पूरे महीने और बिल ख़ुसूस 15 शाबान को इ़बादत व इस्तिग़फ़ार की ख़ूब कसरत करें और अल्लाह पाक से अपनी दुन्या व आख़िरत की बेहतरी के लिए दुआ़एं मांगें । पारह 25, सूरतुद्दुख़ान की आयत नम्बर 3 और 4 में अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है :

اِنَّاۤ اَنْزَلْنٰهُ فِیْ لَیْلَةٍ مُّبٰرَكَةٍ اِنَّا كُنَّا مُنْذِرِیْنَ(۳) فِیْهَا یُفْرَقُ كُلُّ اَمْرٍ حَكِیْمٍۙ(۴) )    پ۲۵،الدخان:۴-۳(

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक हम ने उसे बरकत वाली रात में उतारा, बेशक हम डर सुनाने वाले हैं । इस रात में हर ह़िक्मत वाला काम बांट दिया जाता है ।

          ह़कीमुल उम्मत, मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बयान कर्दा आयाते मुबारका के तह़्त फ़रमाते हैं : इस रात से मुराद या शबे क़द्र है (यानी रमज़ानुल मुबारक की) सत्ताईसवीं रात या शबे मेराज या शबे बराअत (यानी) पन्द्रहवीं शाबान । इस रात में पूरा क़ुरआन लौह़े मह़फ़ूज़ से दुन्यावी आसमान की त़रफ़ उतारा गया फिर वहां से 23 साल के अ़र्से में थोड़ा थोड़ा ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم पर उतरा । इस आयत से मालूम हुवा ! जिस रात में क़ुरआन उतरा वोह मुबारक है, तो जिस रात में साह़िबे क़ुरआन صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم दुन्या में तशरीफ़ लाए, वोह भी मुबारक है । इस रात में साल भर के रिज़्क़, मौत, ज़िन्दगी, इ़ज़्ज़तो ज़िल्लत, ग़रज़ ! तमाम इन्तिज़ामी उमूर लौह़े मह़फ़ूज़  से फ़िरिश्तों के सह़ीफ़ों में नक़्ल कर के हर सह़ीफ़ा उस मह़क्मे के फ़िरिश्तों को दे दिया जाता है, जैसे मलकुल मौत عَلَیْہِ السَّلَام को तमाम मरने वालों की फे़हरिस्त वग़ैरा ।   (नूरुल इ़रफ़ान, स. 790, बि तग़य्युरिन क़लील)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मालूम हुवा ! शबे बराअत बेह़द अहम रात है, लिहाज़ा किसी सूरत भी इसे ग़फ़्लत में न गुज़ारा जाए कि इस रात अल्लाह पाक बे शुमार लोगों की मग़फ़िरत फ़रमा देता है । जैसा कि नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : मेरे पास जिब्रील (عَلَیْہِ السَّلَام) आए और कहा : येह शाबान की पन्द्रहवीं रात है, इस में अल्लाह पाक बनी कल्ब की बकरियों के बालों की तादाद के बराबर लोगों को जहन्नम से आज़ाद फ़रमा देता है । (شعب الایمان،۳/۳۸۴،حدیث:۳۸۳۷)

          मगर अफ़्सोस ! कुछ बद नसीब लोग ऐसे भी हैं जिन पर शबे बराअत यानी छुटकारा पाने की रात भी न बख़्शे जाने की वई़द है । चुनान्चे, ह़ज़रते इमाम बैहक़ी शाफे़ई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ "फ़ज़ाइलुल अवक़ात" में नक़्ल करते हैं : रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने इ़ब्रत निशान है : 6 आदमियों की इस रात भी बख़्शिश नहीं होगी : (1) शराब का आ़दी । (2) मां-बाप का ना फ़रमान ।