Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat
से हमें भी अपने अन्दर नेकी की दावत को आ़म करने का जज़्बा पैदा करना चाहिए, अगर पेहले इस मुआ़मले में सुस्ती थी, तो उस को चुस्ती से बदल देना चाहिए । आज तो बहुत आसानियां हैं, किसी को नेकी की दावत देते हुवे शायद ही किसी को पथ्थरों का सामना करना पड़ा हो बल्कि इस के बजाए चाय पानी की दावत पेश की जाती होगी, उ़म्दा और लज़ीज़ खानों की दावत दी जाती होगी, इतनी आसानियों और सहूलतों में तो हमें नेकी की दावत ज़ियादा से ज़ियादा आ़म करनी चाहिए ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आ़शिक़ाने रसूल की मस्जिद भरो मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रहिए और नेकी की दावत की धूमें मचाते रहिए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में रेहते हुवे नेकी की दावत आ़म करने के कई मवाके़अ़ हमें मिलते रेहते हैं । हमें अपने रोज़ाना के मामूलात में से कुछ न कुछ वक़्त तो इस अ़ज़ीम मदनी काम के लिए ज़रूर निकालना ही चाहिए, जिस को जितनी और जैसी सहूलत मिलती हो, दीन की ख़िदमत के लिए अपने आप को पेश करना चाहिए और 12 मदनी कामों की धूमें मचानी चाहिएं । कहीं "सदाए मदीना" के ज़रीए़ हम मस्जिदों को आबाद करने का ज़रीआ़ बन सकते हैं, तो कहीं "बादे फ़ज्र तफ़्सीरे क़ुरआन के ह़ल्के़" के ज़रीए़ फै़ज़ाने क़ुरआन से मालामाल हो सकते हैं । कहीं "मदनी दर्स" के ज़रीए़ आ़शिक़ाने रसूल तक इ़ल्मे दीन की किरनें पहुंचा सकते हैं, तो कहीं "मद्रसतुल मदीना बालिग़ान" की बरकत से तालीमे क़ुरआन की बरकतों से मालामाल हो कर औरों तक भी इस की बरकात पहुंचा सकते हैं । कहीं "चौक दर्स" के ज़रीए़ मस्जिदों से दूर, नमाज़ों से दूर आ़शिक़ाने रसूल तक सुन्नतों का पैग़ाम पहुंचा सकते हैं, तो कहीं "हफ़्तावार इजतिमाअ़" के ज़रीए़ ग़ुलामाने मुस्त़फ़ा को इ़ल्मे दीन सीखने का मौक़अ़ फ़राहम कर सकते हैं । कहीं "यौमे तात़ील एतिकाफ़" के ज़रीए़ शहर और गांव, गोठों के उन अ़लाक़ों में नेकी की दावत आ़म कर सकते हैं जहां पर अभी मदनी काम शुरूअ़ ही नहीं हुवा या शुरूअ़ तो हो चुका है मगर मज़ीद मज़बूत़ी की ह़ाजत है । कहीं "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरे" में अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के ज़रीए़ बटने वाली इ़ल्मे दीन की दौलत को आ़शिक़ाने रसूल तक पहुंचा सकते हैं, तो कहीं "हफ़्तावार मदनी ह़ल्क़े" के ज़रीए़ घर घर सुन्नतों भरे बयानात / मदनी मुज़ाकरे (ऑडियो, वीडियो) दिखा कर, सुना कर नेकी की दावत पहुंचा सकते हैं । कहीं "अ़लाक़ाई दौरा" के ज़रीए़ घर घर, दुकान दुकान जा कर मस्जिद भरो तह़रीक के लिए आ़शिक़ाने रसूल तय्यार कर सकते हैं, तो कहीं नेक बनने के नुस्ख़े "मदनी इनआ़मात"को आ़म कर सकते हैं । इसी त़रह़ "क़ाफ़िलों" में