Kamalat-e-Mustafa

Book Name:Kamalat-e-Mustafa

عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ाते मुक़द्दसा को पिछले नबियों के तमाम मोजिज़ात का मजमूआ़ (Collection) बना दिया और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को त़रह़ त़रह़ के ऐसे बे शुमार मोजिज़ात से सरफ़राज़ फ़रमाया (सीरते मुस्त़फ़ा, . 712 ता 714, मुलख़्ख़सन)

          इस के इ़लावा बे शुमार ऐसे मोजिज़ात से भी अल्लाह पाक ने अपने आख़िरी नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को मुमताज़ फ़रमाया जो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के ख़साइस केहलाते हैं, यानी येह आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के वोह कमालातो मोजिज़ात हैं जो किसी और नबी रसूल को अ़त़ा नहीं किए गए (सीरते मुस्त़फ़ा, . 820, मुलख़्ख़सन) लिहाज़ा मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ात वोह ज़ात है जिस में तमाम मोजिज़ात को जम्अ़ कर दिया गया

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          आ़शिक़ाने रसूल ! याद रखिए ! रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की अपनी उम्मत पर शफ़्क़तो मह़ब्बत एक ऐसे समुन्दर की त़रह़ है जिस की गेहराई और किनारे का हम में से किसी को भी इ़ल्म नहीं आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की अपनी उम्मत से मह़ब्बतो शफ़्क़त का बयान क़ुरआने करीम में भी मौजूद है चुनान्चे, पारह 11, सूरतुत्तौबा की आयत नम्बर 128 में अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है :

qÉýÁ¤W*) 'nٓ*qx’–

(پ ۱۱،التوبہ ۱۲۸)¨µoc*¸¬T

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक तुम्हारे पास तुम में से वोह अ़ज़ीम रसूल तशरीफ़ ले आए जिन पर तुम्हारा मशक़्क़त में पड़ना बहुत भारी गुज़रता है, वोह तुम्हारी भलाई के निहायत चाहने वाले, मुसलमानों पर बहुत मेहरबान, रह़मत फ़रमाने वाले हैं