Kamalat-e-Mustafa

Book Name:Kamalat-e-Mustafa

आज येह खाना उन खाने वालों के इस्तिमाल से घटेगा नहीं, लिहाज़ा ह़ज़रते जाबिर (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ) की बिग़ैर इजाज़त रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सब को दावत दे दी ٭ ह़ज़रते जाबिर (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ) तमाम आदमियों को दावत देने और उन में एलान करने से ह़ैरान रेह गए, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन की ह़ैरानी मुलाह़ज़ा फ़रमाई और तसल्ली देने के लिए येह फ़रमाया : घबराओ नहीं ! अल्लाह पाक फ़ज़्ल करेगा, जो लाएगा, वोह खिलाएगा, तुम इतना करना कि मेरे आने से पेहले हांडी चूल्हे से उतारना और आटा पकाना शुरूअ़ करना फिर क़ुदरते ख़ुदा का नज़्ज़ारा देखना ٭ इस वाक़िए़ में ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के लुआ़ब शरीफ़ के बहुत से मोजिज़ात हैं : बोटियों में कसरत बरकत, शोरबे के पानी में बरकत, शोरबे के नमक, मिर्च मसालह़े (और) घी में बरकत कसरत, आटे में बरकत कसरत, जिस लक्ड़ी से येह चीज़ें पकाई गईं उस में बरकत, रोटी पकाने वाली के हाथ में क़ुव्वत त़ाक़त, वरना इतनी बड़ी जमाअ़त की दावत के लिए कई मन गोश्त, लक्ड़ियां, आटा, बहुत से पकाने वाले और बहुत सारे तन्नूर चाहिएं, जैसा कि आज कल शादियों की दावतों में देखा जाता है ٭ ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के अ़सा (लाठी) से पानी के 12 चश्मे पथ्थर (Stone) से फूटे, यहां ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के थूक शरीफ़ से हांडी से बोटियों (और) शोरबे के चश्मे फूटे (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 177 ता 179, मुलख़्ख़सन)

٭ मरह़बा या मुस्त़फ़ा ٭ मरह़बा या मुस्त़फ़ा ٭ मरह़बा या मुस्त़फ़ा

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइए ! अब मोजिज़े की तारीफ़ सुनते हैं चुनान्चे,