Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan
एक और मक़ाम पर इरशाद फ़रमाया : बेशक अल्लाह पाक एक नेक बन्दे का दरजा जन्नत में बुलन्द फ़रमाएगा, तो वोह कहेगा : ऐ मेरे रब्बे करीम ! मुझे येह मर्तबा कैसे मिला ? तो अल्लाह पाक फ़रमाएगा : तेरे बेटे ने तेरे लिये मग़फ़िरत की दुआ़ मांगी है । (مشکاۃالمصابیح،کتاب الدعوات،باب الاستغفار والتوبۃ،حدیث:۲۳۵۴، ۱/ ۴۴۰)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! याद रहे ! वालिदैन इन फ़ज़ाइल को उसी सूरत में पा सकते हैं जब ख़ुद इ़ल्मो अ़मल और सुन्नतों के पैकर, ख़ौफे़ ख़ुदा रखने वाले और इ़ल्मे दीन से मह़ब्बत रखने वाले होंगे । अगर हम भी इन ख़ूबियों से आरास्ता होना चाहती हैं, तो आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाएं, اِنْ شَآءَ اللّٰہ हमारी आने वाली नस्लें संवर जाएंगी । क्यूंकि :
8 मदनी कामों में से एक मदनी काम "घर दर्स"
आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी मुसलमानों को "अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश" का मदनी ज़ेहन देने के साथ साथ अपनी औलाद की इस्लामी त़रीक़े के मुत़ाबिक़ ता'लीमो तरबिय्यत का भी ख़ुसूसिय्यत के साथ ज़ेहन अ़त़ा करती है, लिहाज़ा हमें भी इस मदनी माह़ोल से वाबस्ता रह कर ज़ैली ह़ल्क़े के 8 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लेना चाहिये । ज़ैली ह़ल्क़े के 8 मदनी कामों में से रोज़ाना का एक मदनी काम "घर दर्स" भी है । आप तमाम इस्लामी बहनों से गुज़ारिश है कि घर में मदनी माह़ोल बनाने के लिये रोज़ाना कम अज़ कम एक बार दर्से फ़ैज़ाने सुन्नत देने या सुनने की तरकीब ज़रूर फ़रमाइये (जिस में ना मह़रम न हों) । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के तख़रीज शुदा रसाइल से भी ह़स्बे मौक़अ़ दर्स दिया जा सकता है । (दौरानिया : 7 मिनट है)
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! घर दर्स में भी इ़ल्मे दीन के मोती लुटाए जाते हैं और इ़ल्मे दीन सीखने की तो क्या ही बात है ! कि ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया कि जो कोई अल्लाह