Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan
मश्हूर मुफ़स्सिरे क़ुरआन, ह़ज़रते अ़ल्लामा क़ुर्त़ुबी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ नक़्ल फ़रमाते हैं : हम पर फ़र्ज़ है कि अपनी औलाद और अपने अहले ख़ाना को दीन की ता'लीम दें, अच्छी बातें सिखाएं और उस अदब व हुनर की ता'लीम दें जिस के बिग़ैर चारा नहीं । (تفسیر قُرطبی،۹/۱۴۸)
आज फ़ितनों से भरपूर इस ज़माने में भी اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ऐसे वालिदैन मौजूद हैं जो शरीअ़त के ह़ुक्म पर अपना सर झुका कर हिम्मत व ह़ौसले के साथ मुआ़शरे के त़ा'नों को बरदाश्त करते हुवे औलाद की इस्लाह़ और उन की इस्लामी त़रीके़ से मदनी तरबिय्यत कर के अपनी और उन की आख़िरत बेहतर बनाने के लिये कोशिशें जारी रखे हुवे हैं । येही वज्ह है कि उन मदनी ज़ेहन रखने वालों की औलाद में कोई ह़ाफ़िज़े क़ुरआन बनता है, कोई क़ारिये क़ुरआन बनने की सआ़दत पाता है, कोई नेकी की दा'वत आ़म करने वाला मुबल्लिगे़ दा'वते इस्लामी बनता है, तो कोई इ़ल्मे दीन की रौशनी फैलाने वाला आ़लिमे दीन और मुफ़्ती बन कर उम्मते मह़बूब की शरई़ रहनुमाई करता है । जिन मां-बाप के बच्चे इस अन्दाज़ से दीन की ख़िदमत कर रहे हों, वोह इस ह़क़ीक़त को अच्छी त़रह़ जानते होंगे कि डॉक्टर व इन्जीनियर वग़ैरा बनाने के फ़वाइद (Benefits) सिर्फ़ दुन्या तक ही मह़दूद होते हैं जब कि नेक औलाद, वालिदैन की वफ़ात के बा'द भी फ़ाइदा मन्द साबित होती है ।
ह़ज़रते सय्यिदुना बुरैदा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जिस ने क़ुरआन पढ़ा, उसे सीखा और उस पर अ़मल किया, तो उस के वालिदैन को क़ियामत के दिन नूर का एक ऐसा ताज पहनाया जाएगा जिस की चमक सूरज की त़रह़ होगी और उस के वालिदैन को दो जन्नती लिबास पहनाए जाएंगे जिन की क़ीमत येह दुन्या अदा नहीं कर सकती । तो वोह पूछेंगे : हमें येह लिबास क्यूं पहनाए गए हैं ? उन से कहा जाएगा : तुम्हारे बच्चों के क़ुरआन को थामने के सबब ।
(مستدرک ،کتاب فضائل القرآن، باب من قراالقرآن وتعلمہ الخ، رقم: ۲۱۳۲، ۲/ ۲۷۸)