Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan
बरकत से आहिस्ता आहिस्ता घर में मदनी माह़ोल क़ाइम होने लगा, टीवी की नुह़ूसत से जान छूटी, नमाज़ों की पाबन्दी और शरई़ पर्दे का ज़ेहन बना और यूं اَلْحَمْدُ لِلّٰہ उन के घर के तमाम अफ़राद दा'वते इस्लामी से वाबस्ता हो कर सुन्नतों के सांचे में ढल गए । अल्लाह का ऐसा करम हुवा कि उन की शादी भी दा'वते इस्लामी के एक मुबल्लिग़ से निहायत सादगी से हुई, वलीमे की रात इजतिमाए़ ज़िक्रो ना'त का इन्ए़क़ाद भी हुवा । अल्लाह की अमीरे अहले सुन्नत पर रह़मत हो और इन के सदके़ हमारी मग़फ़िरत हो । (अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई मदनी बहार या बरकत मिली हो, तो आख़िर में ज़िम्मेदार इस्लामी बहन को जम्अ़ करवा दें) ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! तरबिय्यते औलाद के ह़वाले से बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن और पहले के मुसलमानों का किरदार हमारे लिये लाइक़े अ़मल है क्यूंकि येह ह़ज़रात तरबिय्यते औलाद के त़रीक़ों को अच्छी त़रह़ जानते और औलाद जैसी ने'मत की सह़ीह़ मा'नों में क़द्र किया करते थे कि ख़ुद उन की परवरिश भी तो किसी नेक सीरत वालिदैन की निगरानी में हुई थी । येह ह़ज़रात ख़ुद भी नेकियों के शौक़ीन होते और अपनी औलाद को भी नेकी की राह पर लगे रहने की तरग़ीब दिलाया करते थे । येही वज्ह है कि उन की औलाद उन की फ़रमां बरदार, आंखों का चैन, दिल का सुकून और मुआ़शरे में उन का नाम रौशन करती थी । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब 2 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनती हैं और उन से ह़ासिल होने वाले मदनी फूल अपने दिल के मदनी गुलदस्ते में सजाती हैं । चुनान्चे,
﴾1﴿...देहाती औ़रत की नसीह़त
ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम अस्मई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं ने एक देहाती औ़रत को देखा जो अपने बेटे को नसीह़त करते हुवे कह रही थी : बेटा ! अ़मल की तौफ़ीक़ अल्लाह पाक की त़रफ़ से है और मैं तुझे नसीह़त करती हूं : ٭