Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan
मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! येह ह़क़ीक़त है कि वालिदैन की अच्छी तरबिय्यत औलाद को अच्छा और बुरी तरबिय्यत बुरा बना देती है । औलाद की मदनी तरबिय्यत के मुआ़मले में कभी भी सुस्ती का मुज़ाहरा नहीं करना चाहिये । जो वालिदैन अपनी औलाद की दुरुस्त तरबिय्यत नहीं करते, उन्हें शर्मिन्दगी व रुस्वाई का सामना करना पड़ता है, लिहाज़ा अच्छे वालिदैन होने का सुबूत देते हुवे अपनी औलाद को क़ुरआने करीम से मह़ब्बत और उस के अह़काम पर अ़मल करना सिखाइये । अल्लाह पाक वालिदैन को अपनी औलाद की शरीअ़त के मुत़ाबिक़ मदनी तरबिय्यत करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن अपनी औलाद की इस्लामी त़रीक़े से तरबिय्यत फ़रमाया करते थे । आइये ! एक नेक वालिद और उन की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी की एक ईमान अफ़रोज़ ह़िकायत सुनती हैं । चुनान्चे,
शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी
ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बहुत बड़े परहेज़गार थे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की साह़िबज़ादी जो नेक सूरत होने के साथ साथ नेक सीरत भी थी, जब शादी के लाइक़ हुई, तो बादशाह के यहां से रिश्ता आया मगर ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने तीन दिन की मोह्लत मांगी और मस्जिद मस्जिद घूम कर किसी नेक नौजवान को तलाश करने लगे । एक नौजवान पर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की निगाह पड़ी जिस ने अच्छी त़रह़ नमाज़ अदा की । शैख़ ने उस से पूछा : क्या तुम्हारी शादी हो चुकी है ? उस ने कहा : नहीं ।