Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan
मगर उस की किसी ने न सुनी । मुख़ालफ़त का येह सिलसिला तक़रीबन तीन साल तक चलता रहा, बिल आख़िर तंग आ कर उस ने घर वालों के सामने हथयार डाल दिये और दाढ़ी शरीफ़ मुन्डवा कर दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल को ख़ैराबाद कह दिया । बड़े भाई चूंकि डॉक्टर थे इस लिये इसे भी डॉक्टर बनने के लिये फै़सलाबाद के एक मेडीकल कॉलेज में दाख़िल करवा दिया गया, जहां वोह हॉस्टेल (या'नी इक़ामत गाह) में बुरी सोह़बत की नुहू़सतों का शिकार हो कर चरस पीने लगा और सख़्त बीमार हो गया । घर वाले उसे वापस ज़मज़म नगर ले आए, वालिद साह़िब ने इ़लाज पर लाखों रुपये ख़र्च कर डाले मगर न सिह़्ह़त दुरुस्त हुई और न ही सुधरा बल्कि अब वोह हीरोइन का नशा करने लगा । कसरत से नशा करने की वज्ह से वोह सूख कर कांटा हो गया, दांतों की सफे़दी ग़ाइब हो कर उन पर कालक की तेह चढ़ गई और उस की ह़ालत पागलों की सी हो गई । अल्लाह पाक की रह़मत से अब वालिद साह़िब आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो चुके हैं, बेचारे अब बहुत पछता रहे हैं कि काश ! उस वक़्त मुझे दा'वते इस्लामी की अहम्मिय्यत समझ में आ जाती और मैं अपने बेटे को आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से दूर न करता, तो शायद आज मुझे येह दिन न देखने पड़ते मगर "अब पछताए क्या होवत जब चिड़यां चुक गईं खेत ।" अल्लाह पाक हमें अपनी औलाद की इस्लामी उसूलों के मुत़ाबिक़ मदनी तरबिय्यत करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआ़दत ह़ासिल करती हूं । शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की वोह जन्नत में मेरे साथ होगा ।
(مشکاۃ الصابیح،کتاب الایمان،باب الاعتصام بالکتاب والسنۃ،الفصل الثانی،۱/۵۵،حدیث:۱۷۵)