Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan

Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan

फिर पूछा : क्या निकाह़ करना चाहते हो ? लड़की क़ुरआने करीम पढ़ती है, नमाज़, रोज़े की पाबन्द है, ख़ूब सूरत और नेक सीरत है । उस ने कहा : भला मेरे साथ कौन रिश्ता करेगा ! ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़रमाया : मैं करता हूं । येह कुछ दिरहम रखो, एक दिरहम की रोटी, एक दिरहम का सालन और एक दिरहम की ख़ुश्बू ख़रीद लाओ । इस त़रह़ ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी नेक बेटी का निकाह़ उस से पढ़ा दिया । दुल्हन जब दुल्हा के घर आई, तो उस ने देखा कि पानी की सुराह़ी पर एक सूखी रोटी रखी हुई है । उस ने पूछा : येह रोटी कैसी है ? दुल्हे ने कहा : येह कल की बासी रोटी है, मैं ने इफ़्त़ार के लिये रख ली थी । येह सुन कर वोह वापस होने लगी । येह देख कर दुल्हा बोला : मुझे मा'लूम था कि ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की शहज़ादी मुझ ग़रीब इन्सान के घर नहीं रुक सकती । दुल्हन बोली : मैं आप की ग़ुर्बत (Poverty) के बाइ़स नहीं बल्कि इस लिये लौट कर जा रही हूं कि अल्लाह करीम पर आप का यक़ीन बहुत कमज़ोर नज़र आ रहा है, मुझे तो अपने वालिद पर ह़ैरत है कि उन्हों ने आप को पाकीज़ा आ़दत और नेक कैसे कह दिया ! दुल्हा येह सुन कर बहुत शर्मिन्दा हुवा और उस ने कहा : इस कमज़ोरी से मा'ज़िरत ख़्वाह हूं । दुल्हन ने कहा : अपना उ़ज़्र आप जानें, अलबत्ता ! मैं ऐसे घर में नहीं रुक सकती जहां एक वक़्त की ख़ूराक जम्अ़ रखी हो, अब या तो मैं रहूंगी या रोटी । दुल्हे ने फ़ौरन जा कर रोटी ख़ैरात कर दी । (روض الریاحین،الحکایۃ الثانیہ والتسعون بعد الما ئۃ ،ص۱۹۲،ملخصاً )

प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि ज़माने के मश्हूर वली, ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी शहज़ादी की किस क़दर बेहतरीन अन्दाज़ में मदनी तरबिय्यत फ़रमाई थी, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी का अल्लाह पाक की ज़ात पर मुकम्मल भरोसा था जो अपने शौहर के घर में मुनासिब सहूलिय्यात और मालो दौलत की कसरत न होने की वज्ह से नाराज़ न हुईं बल्कि शिक्वा किया भी तो इस बात का कि इफ़्त़ारी के लिये रोटी बचा कर क्यूं रखी गई ? यक़ीनन आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की