Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan

Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan

पाक के फ़राइज़ से मुतअ़ल्लिक़ एक या दो या तीन या चार या पांच कलिमात सीखे और उसे अच्छी त़रह़ याद कर ले और फिर लोगों को सिखाए, तो वोह जन्नत में ज़रूर दाख़िल होगा । ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं कि मैं रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से येह बात सुनने के बा'द कोई ह़दीस नहीं भूला । (الترغیب والترہیب، کتاب العلم ، الترغیب فی العلم الخ، رقم۲۰، ج۱، ص۵۴)  लिहाज़ा आप भी घर में दर्स देने की निय्यत फ़रमा लीजिये । आइये ! तरग़ीब के लिये एक मदनी बहार मुलाह़ज़ा फ़रमाइये । चुनान्चे,

घर दर्स शुरूअ़ कर दिया

          मुल्के अमीरे अहले सुन्नत की एक इस्लामी बहन जहालत की तारीकियों में डूबी हुई थी, शरई़ पर्दे का भी कोई ज़ेहन न था । ख़ुश क़िस्मती से किसी ने उन्हें शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मश्हूरे ज़माना तालीफ़ "फै़ज़ाने सुन्नत" तोह़्फ़तन पेश की । इस के चीदा चीदा मक़ामात का मुत़ालआ़ करने से उन्हें अन्दाज़ा हो गया कि येह इन्तिहाई दिलचस्प और मा'लूमाती किताब है । चुनान्चे, इस के बा'द उन का रोज़ाना का मा'मूल बन गया कि फै़ज़ाने सुन्नत के कुछ न कुछ सफ़ह़ात का न सिर्फ़ मुत़ालआ़ करतीं बल्कि अपने दादाजान को भी सुनातीं जिसे वोह बड़ी यक्सूई से सुनते ।

اَلْحَمْدُ لِلّٰہ कुछ अ़र्से बा'द रमज़ानुल मुबारक के आख़िरी दस दिन का ए'तिकाफ़ मस्जिदे बैत में करने की सआ़दत ह़ासिल हुई और उन्हों ने दौराने ए'तिकाफ़ अव्वल ता आख़िर फै़ज़ाने सुन्नत पढ़ने की निय्यत कर ली । जब नवाफ़िल व तिलावत से फ़राग़त पातीं, तो फै़ज़ाने सुन्नत के मुत़ालए़ में मसरूफ़ हो जातीं और साथ साथ अपना मुह़ासबा भी करती जातीं । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से बैअ़त की सआ़दत तो पहले ही ह़ासिल कर चुकी थीं, अब उन की पुर तासीर तह़रीर पढ़ने से नेकियां करने और गुनाहों से बचने का ज़ेहन भी बना । इसी जज़्बे के तह़्त उन्हों ने पाबन्दी से घर दर्स शुरूअ़ कर दिया, जिस की