Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan

Book Name:Aulad Ki Tarbiyat Aur Walidain Ki Zimadariyan

पर सिर्फ़ उन गुनाहों का बोझ रह गया है, जो मैं ने तुम लोगों की ख़ात़िर किये । फ़िरिश्ते ए'लान करेंगे : येह वोह शख़्स है जिस की सारी नेकियां उस के बाल बच्चे ले गए और येह उन की वज्ह से जहन्नम में दाख़िल हुवा ।

(قُرَّۃُ العیون،الباب الثامن فی عقوبۃقاتل النفس وقاطع الرحم ،ص۴۰۱ملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सुना आप ने कि जो वालिदैन अपनी औलाद की मदनी तरबिय्यत नहीं करते और उन्हें इ़ल्म व अदब नहीं सिखाते, तो उन्हें कैसी शर्मिन्दगी व रुस्वाई का सामना होता है, लिहाज़ा अच्छे वालिदैन होने का सुबूत देते हुवे अपनी औलाद को क़ुरआने करीम से मह़ब्बत और उस के अह़काम पर अ़मल करना सिखाइये ।

        सदरुश्शरीआ़, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : सब से मुक़द्दम (पहले) येह है कि बच्चों को क़ुरआने मजीद पढ़ाएं और दीन की ज़रूरी बातें सिखाई जाएं । रोज़ा व नमाज़ व त़हारत (पाकी), ख़रीदो फ़रोख़्त और उजरत (मज़दूरी) व दीगर मुआ़मलात के मसाइल जिन की रोज़ मर्रा ह़ाजत पड़ती है और ना वाक़िफ़ी (ला इ़ल्मी) से ख़िलाफे़ शरअ़ अ़मल करने के जुर्म में मुब्तला होते हैं, उन की ता'लीम हो । अगर देखें कि बच्चे को इ़ल्म की त़रफ़ रुजह़ान (Interest) है और समझदार है, तो इ़ल्मे दीन की ख़िदमत से बढ़ कर क्या काम है ? और अगर इस्तित़ाअ़त (त़ाक़त) न हो, तो दुरुस्त अ़क़ाइद और ज़रूरी मसाइल सिखाने के बा'द जिस जाइज़ काम में लगाएं, इख़्तियार है । (बहारे शरीअ़त, 2 / 256, मुलख़्ख़सन)

लड़की को भी अ़क़ाइद व ज़रूरी मसाइल सिखाने के बा'द किसी औ़रत से सिलाई और नक़्शो निगार वग़ैरा ऐसे काम सिखाएं जिन की औ़रतों को अक्सर ज़रूरत पड़ती है और खाना पकाने और दीगर उमूरे ख़ानादारी (घर के कामों) में उस को सलीके़ होने (या'नी तमीज़ सिखाने) की कोशिश करें कि सलीके़ वाली औ़रत जिस ख़ूबी से ज़िन्दगी बसर कर सकती है, बद सलीक़ा नहीं कर सकती । (बहारे शरीअ़त, 2 / 257)