Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat
मदीना होनी चाहिये, यहां भी मदनी दौरा की ज़रूरत है, यहां के आ़शिक़ाने ग़ौसे आ'ज़म को भी मद्रसतुल मदीना बालिग़ान के ज़रीए़ ता'लीमे क़ुरआन के ज़ेवर से आरास्ता करने की ज़रूरत है, इस बाज़ार में भी चौक दर्स होना चाहिये, काश ! इस अ़लाके़ में भी मदनी इनआ़मात का फै़ज़ान आ़म हो, फ़ुलां अ़लाके़ / गांव / शहर में भी मदनी क़ाफ़िलों की आमद होनी चाहिये ।
अफ़्सोस ! मोबाइल और इन्टरनेट का ग़लत़ इस्ति'माल करने वालों ने गोया अपनी आंखों से ह़या धो डाली है, ज़रूरिय्यात व सहूलिय्यात को ह़ासिल करने की ह़द से ज़ियादा जिद्दो जह्द ने मुसलमानों की भारी ता'दाद को फ़िक्रे आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफ़िल कर दिया है । ज़रा सोचिये ! जहन्नम में ले जाने वाले आ'माल में मसरूफ़ रहने वालों को जन्नत में ले जाने वाले आ'माल पर कौन आमादा करेगा ? हमें ख़ुद ही एक दूसरे की इस्लाह़ की कोशिश करनी होगी, नेकी की दा'वत का जज़्बा बढ़ाना होगा । लिहाज़ा इनफ़िरादी कोशिश को अपनी आ़दत बनाइये क्यूंकि नेकी की दा'वत में इनफ़िरादी कोशिश का बहुत अहम किरदार है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इनफ़िरादी कोशिश जैसे पाकीज़ा अ़मल के नतीजे में हमें बे शुमार दुन्यवी व उख़रवी फ़ज़ाइलो बरकात भी ह़ासिल होंगे । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब 3 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये और अपने अन्दर इनफ़िरादी कोशिश का जज़्बा बेदार करने की कोशिश कीजिये ।
नेकी की दा'वत की तरग़ीब पर मुश्तमिल
3 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
- अल्लाह पाक की क़सम ! अगर अल्लाह पाक तुम्हारे ज़रीए़ किसी एक को भी हिदायत दे दे, तो येह तुम्हारे लिये सुर्ख़ ऊंटों से बेहतर है ।
(مسلم ،کتاب فضائل الصحابۃ،باب من فضائل علی بن ابن طالب، ص۱۳۱۱،حدیث :۲۴۰۶)
- जो नेकी का रास्ता दिखलाए, तो उस के लिये नेकी करने वाले की त़रह़ सवाब है । (مسلم،کتاب الامارۃ، باب فضل اعانۃ الغازی…الخ،ص۱۰۵۰،حدیث: ۱۸۹۳)