Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat

Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat

उन का तआ़रुफ़ करवाया, तो इस्लामी भाई ने उन्हें दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की दा'वत पेश की । इस्लामी भाई की दा'वत पर वोह सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में जा पहुंचे, उन्हें बहुत अच्छा लगा, लिहाज़ा उन्हों ने पाबन्दी से जाना शुरूअ़ कर दिया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इजतिमाअ़ में शिर्कत की बरकत से उन्हों ने नमाज़ों की पाबन्दी शुरूअ़ कर दी, आहिस्ता आहिस्ता इ़मामा शरीफ़ भी सज गया, जिस पर घर के बा'ज़ अफ़राद ने सख़्ती के साथ मुख़ालफ़त की, ह़त्ता कि बसा अवक़ात N इ़मामा शरीफ़ खींच कर उतार दिया जाता, दर्स देने से रोका जाता, ज़ुल्फे़ं रखीं, तो घर वालों ने ज़बरदस्ती कटवा दीं, दाढ़ी अभी निकली नहीं थी मगर सजाने की निय्यत कर ली थी । इन तमाम आज़माइशों के बा वुजूद मदनी माह़ोल की कशिश उन्हें दा'वते इस्लामी के क़रीब से क़रीब तर करता चला गया । मक्तबतुल मदीना से जारी होने वाले सुन्नतों भरे बयानात की केसेटें सुनने से ढारस बंधी और ह़ौसला मिलता चला गया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आहिस्ता आहिस्ता घर में भी मदनी माह़ोल बन गया ।

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! मुसलमानों में नेकी की दा'वत आ़म करने की जितनी ज़रूरत आज है, शायद पहले कभी न थी क्यूंकि आज मुसलामानों की भारी अक्सरिय्यत बे अ़मली का शिकार है, मदनी मुज़ाकरों में भी अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ मुआ़शरे में तेज़ी के साथ फैलने वाले गुनाहों की निशान देही करते हुवे उम्मते मुस्लिमा में नेकी की दा'वत को आ़म करने का जज़्बा बेदार करने के लिये मदनी फूल अ़त़ा फ़रमाते रहते हैं, नेकियां करना नफ़्स के लिये बेह़द दुशवार और गुनाह करना बहुत आसान हो चुका है, मस्जिदों की वीरानी और सीनेमा घरों और ड्रामा गाहों की रौनक़, दीन का दर्द रखने वालों को गोया झन्झोड़ कर जगा रही है कि इस गली में भी सदाए