Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat

Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat

फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ :   ’’نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖ‘‘              मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है । (معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲)

मदनी फूल :- जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।

बयान सुनने की निय्यतें

  ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । ٭ बयान के बा'द इस्लामी भाइयों से ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम करूंगा, हाथ मिलाऊंगा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! नेकी की दा'वत देने और बुराई से मन्अ़ करने के बहुत फ़ज़ाइलो बरकात हैं । येही वज्ह है कि हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن नेकी का ह़ुक्म देने और बुराई से मन्अ़ करने में सुस्ती नहीं करते थे । अगर हम तारीख़े इस्लाम का मुत़ालआ़ करें, तो हम पर येह बात रोज़े रौशन की त़रह़ ज़ाहिर हो जाती है कि औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने अपने वक़्त का सह़ीह़ इस्ति'माल करते हुवे आने वाली नस्लों की आसानी और इ़ल्मे दीन को आ़म करने के अ़ज़ीम जज़्बे के पेशे नज़र बे शुमार उ़लूम पर किताबें लिखीं । इन बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने नेकी की दा'वत के अ़ज़ीम मक़्सद के लिये अपने वक़्त और घर बार की क़ुरबानियां दीं । तसव्वुर करें ! तो तारीख़ के सफ़ह़ात पर कहीं इमामे आ'ज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्मे दीन के मोती लुटाते दिखाई देते हैं, तो कहीं ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ नूरे इ़ल्म से लोगों के दिलों को रौशन फ़रमाते हैं, कहीं इमामे ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस्लाह़े