Ita'at-e-Mustafa

Book Name:Ita'at-e-Mustafa

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! यक़ीनन इत़ाअ़ते मुस्त़फ़ा करते हुवे अपने ज़ाहिरो बात़िन को इस्लाम के मुत़ाबिक़ करने में फ़ाइदा ही फ़ाइदा है । लिहाज़ा हमें चाहिये कि अपने प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अक़्वाल, अफ़्आ़ल और ह़ालात का बग़ौर मुत़ालआ़ कर के अपनी ज़िन्दगी आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की इत़ाअ़त और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नतों पर अ़मल करते हुवे गुज़ारें । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان, सरकार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की हर हर सुन्नत पर अ़मल की कोशिश किया करते थे बल्कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जिस बात का ह़ुक्म न भी दिया होता, उस में भी पैरवी करते थे । चुनान्चे,

बात करते वक़्त मुस्कुराया करते

          ह़ज़रते सय्यिदतुना उम्मे दर्दा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا फ़रमाती हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना अबू दर्दा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ जब भी बात करते, तो मुस्कुराते । मैं ने अ़र्ज़ की : आप (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ) इस आ़दत को छोड़ दीजिये वरना लोग आप को बे वुक़ूफ़ समझने लगेंगे । तो ह़ज़रते सय्यिदुना अबू दर्दा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया : मैं ने जब भी रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को बात करते देखा या सुना, (तो) आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुस्कुराते थे (लिहाज़ा मैं भी इसी सुन्नत पर अ़मल की निय्यत से ऐसा करता हूं) ।

(مسند احمد،مسند الانصار، باقی حدیث ابی الدرداء رضی اللّٰہ تعالٰی عنہ، ۸/۱۷۱، حدیث: ۲۱۷۹۱)

पतली पतली गुले क़ुद्स की पत्तियां  उन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम

जिस की तस्कीं से रोते हुवे हंस पड़ें   उस तबस्सुम की आ़दत पे लाखों सलाम

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

सरकार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की पसन्द, अपनी पसन्द

          ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि एक दर्ज़ी ने रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की दा'वत की । (ह़ज़रते सय्यिदुना