Book Name:Ita'at-e-Mustafa
आइये ! तरग़ीब के लिये मद्रसतुल मदीना (बालिग़ात) की एक मदनी बहार सुनिये और झूमिये । चुनान्चे,
बाबुल मदीना में रिहाइश पज़ीर एक इस्लामी बहन जिन के शबो रोज़ अल्लाह करीम की ना फ़रमानी में बसर हो रहे थे, नाच, गानों का जुनून की ह़द तक शौक़ था, क़ुर्बो जवार में होने वाली शादी, बियाह की तक़रीबात में उन्हें गाने और डांस के लिये बुलाया जाता था, مَعَاذَ اللّٰہ عَزَّ وَجَلَّ सैंक्ड़ों गाने उन को न सिर्फ़ ज़बानी याद थे बल्कि उन में से हर गाने पर डांस भी कर सकती थी । इन्ही बेहूदगियों में उन की ज़िन्दगी का एक ह़िस्सा ज़ाएअ़ हो चुका था । वोह तो क़िस्मत अच्छी थी कि एक दिन दा'वते इस्लामी के मुश्कबार मदनी माह़ोल से वाबस्ता एक बा पर्दा इस्लामी बहन से मुलाक़ात हो गई । उन्हों ने शफ़्क़त फ़रमाते हुवे नेकी की दा'वत के दौरान गुनाहों से बचने का ज़ेहन दिया । उन की दा'वत की बरकत से क़ब्रो आख़िरत की तय्यारी का ज़ेहन बना, दिल पर छाई गुनाहों की तारीकियां छटने लगीं और उन के दिल का आबगीना साफ़ व शफ़्फ़ाफ़ होने लगा । मज़ीद शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के पुर तासीर बयान का तह़रीरी गुलदस्ता बनाम "गानों के 35 कुफ़्रिय्या अश्आ़र" पढ़ने की सआ़दत मुयस्सर आ गई जिस में गाने, बाजों के अ़ज़ाबात और कुफ़्रिय्या अश्आ़र के बारे में पढ़ कर ख़ौफे़ ख़ुदा से कांप उठीं, उन्हें गुनाहों पर नदामत होने लगी, फ़ौरन से पेश्तर नाच, गानों और दीगर गुनाहों से सच्ची तौबा की और गुनाहों भरी ज़िन्दगी छोड़ कर नेकियों की राह अपना ली । एक इस्लामी बहन की इनफ़िरादी कोशिश के नतीजे में मद्रसतुल मदीना (बालिग़ात) में शिर्कत करना शुरूअ़ कर दी जहां उन्हें क़ुरआने मजीद दुरुस्त मख़ारिज से पढ़ने के साथ साथ वुज़ू, नमाज़ और त़हारत वग़ैरा से मुतअ़ल्लिक़ भी अहम बातें सीखने का मौक़अ़ मिला । (अनोखी कमाई, स. 14, बित्तसर्रुफ़) अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई