Book Name:Ita'at-e-Mustafa
करूंगी, घूरने, झिड़कने और उलझने से बचूंगी । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! याद रखिये ! हमारी ज़िन्दगी का मक़्सद अल्लाह पाक और उस के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के बताए हुवे अह़कामात पर अ़मल और उस की इत़ाअ़त करना है । हर मुसलमान पर अल्लाह पाक और उस के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के बताए हुवे अह़कामात पर अ़मल करना और उन की इत़ाअ़त करना फ़र्ज़ है क्यूंकि इसी पर हमारा दुन्या व आख़िरत में कामयाब होने का दारो मदार है । दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार इजतिमाअ़ में होने वाले सुन्नतों भरे बयान में हम इसी के मुतअ़ल्लिक़ अहम मदनी फूल सुनेंगी ।
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने एक शख़्स के हाथ में सोने की अंगूठी देखी । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उस के हाथ से निकाल कर फेंक दी और फ़रमाया : क्या तुम में से कोई येह चाहता है कि आग का अंगारा अपने हाथ में रखे ? जब रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ तशरीफ़ ले गए, तो लोगों ने उस शख़्स से कहा : तुम अपनी अंगूठी उठा लो और इसे (बेच कर) इस से फ़ाइदा