Book Name:Aala Hazrat Ka Ishq-e-Rasool
हमेशा दर्से ह़दीस अदब के साथ दो ज़ानू बैठ कर दिया करते । अह़ादीसे करीमा बिग़ैर वुज़ू न छूते और न पढ़ाया करते । कुतुबे अह़ादीस पर कोई दूसरी किताब न रखते । ह़दीस की शर्ह़ व वज़ाह़त के दौरान अगर कोई शख़्स बात काटने की कोशिश करता, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ सख़्त नाराज़ हो जाते, यहां तक कि चेहरए मुबारक ग़ुस्से की वज्ह से सुर्ख़ हो जाता । ह़दीसे पाक पढ़ाते वक़्त पाउं, ज़ानू पर रख कर बैठने को ना पसन्द फ़रमाते ।
(फै़ज़ाने आ'ला ह़ज़रत, स. 276, मुलख़्ख़सन)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! हमें चाहिये कि हम भी आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे क़ुरआनो ह़दीस के अदबो एह़तिराम
का ख़ास ख़याल रखा करें, क़ुरआनो ह़दीस और सुन्नतों भरे बयानात भी भरपूर तवज्जोह से सुनें और तमाम तर आदाब का ख़याल रखते हुवे बे अदबी और ग़फ़्लत व ला परवाई से बचा करें । याद रखिये ! अदब इन्सान को काम्याबी की बुलन्दियों तक पहुंचा देता है और बे अदबी उसे नाकामी और मह़रूमी के दलदल में धंसा देती है । अफ़्सोस ! आज कल हर त़रफ़ बे अदबी का दौर दौरा है बिल ख़ुसूस मुबारक नामों और मुक़द्दस अवराक़ का अदबो एह़तिराम तो अब तक़रीबन ख़त्म होता जा रहा है, बसा अवक़ात अल्लाह पाक और उस के मदनी ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मुबारक नामों और आयाते क़ुरआनिया वाले अवराक़ बीच रास्ते बल्कि مَعَاذَ اللّٰہ गन्दी नालियों तक में पड़े दिखाई देते हैं, यूंही बा'ज़ लोग हु़ज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शाने अ़ज़मत निशान में जान बूझ कर या बे तवज्जोही के सबब ऐसे ऐसे अल्फ़ाज़ बोल जाते या लिख डालते हैं कि जो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शान के लाइक़ नहीं होते । अल्लाह पाक हमें बा अदब बनाए और बे अदबों की सोह़बत और उन की तह़रीरें पढ़ने से मह़फ़ूज़ रखे । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
आ'ला ह़ज़रत पर अल्लाह पाक और उस के ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का ख़ास करम था और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की तह़रीर का अन्दाज़ इस क़दर दिलकश है कि ख़ुद अदब को भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ पर नाज़ रहेगा । यूं तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ तमाम मुबारक हस्तियों का दिलो जान से अदब बजा लाते रहे मगर प्यारे आक़ा, दो आ़लम के दाता صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मुआ़मले में तो बहुत ज़ियादा अदब का लिह़ाज़ रखा करते थे । अगर किसी की तह़रीर या गुफ़्तगू से مَعَاذَ اللّٰہ हु़ज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बे अदबी का पहलू निकलता या किसी लफ़्ज़ से शाने अक़्दस में कमी की बू भी मह़सूस होती, तो फ़ौरन नसीह़त फ़रमाते । अपनी तह़रीरों और ना'तिया शाइ़री में भी इस क़िस्म के अल्फ़ाज़ इस्ति'माल करने से बचते । आइये ! इस ज़िमन में दो ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनती हैं । चुनान्चे,