Book Name:Aala Hazrat Ka Ishq-e-Rasool
उ़लमा, मौलाना नक़ी अ़ली ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ और दादाजान मौलाना रज़ा अ़ली ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ हैं ।
(फ़ाज़िले बरेलवी, उ़लमाए ह़िजाज़ की नज़र में, स. 67, मुलख़्ख़सन)
आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का पैदाइशी नाम "मुह़म्मद" है, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की वालिदए माजिदा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہا मह़ब्बत में "अम्मन मियां" फ़रमाया करती थीं, वालिदे माजिद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ और दूसरे रिश्तेदार "अह़मद मियां" के नाम से पुकारा करते थे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के दादाजान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का नाम "अह़मद रज़ा" रखा, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का तारीख़ी नाम "अल मुख़्तार" है और आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ख़ुद अपने नाम से पहले "अ़ब्दुल मुस्त़फ़ा" लिखा करते थे । (फै़ज़ाने आ'ला ह़ज़रत, स. 77, मुलख़्ख़सन) जिस से आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़श्के़ रसूल का अच्छी त़रह़ अन्दाज़ा लगाया जा सकता है । चुनान्चे, अपने ना'तिया दीवान "ह़दाइके़ बख़्शिश" में फ़रमाते हैं :
ख़ौफ़ न रख रज़ा ज़रा, तू तो है अ़ब्दे मुस्त़फ़ा
तेरे लिये अमान है, तेरे लिये अमान है
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की सीरत, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के फ़तावा, मल्फ़ूज़ात और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ना'तिया शाइ़री को पढ़ या सुन कर हर समझदार येह बात अच्छी त़रह़ समझ सकता है कि इ़श्के़ रसूल आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की नस नस में समाया हुवा था । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने उ़म्र भर, मह़बूबे ख़ुदा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ता'रीफ़ व तौसीफ़ बयान की, हु़ज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ाते अक़्दस पर ए'तिराज़ात करने वालों को मुंह तोड़ जवाबात दिये और क़ुरआने पाक के तर्जमे में भी शाने रिसालत का ख़ास ख़याल रखा । यूं समझिये कि इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की शम्अ़ लोगों के दिलों में रौशन करना, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का बुन्यादी मक़्सद था । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के ना'तिया दीवान "ह़दाइके़ बख़्शिश" का हर हर शे'र आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़श्के़ रसूल को ज़ाहिर करता नज़र आता है । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़श्के़ रसूल का अन्दाज़ा इस बात से कीजिये कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने न सिर्फ़ अपने दोनों बेटों का नाम बल्कि अपने भतीजों तक का नाम, नामे अक़्दस पर (या'नी मुह़म्मद) रखा । (मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत, स. 73, मुलख़्ख़सन)
आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ज़ाते मुबारका, सुन्नते मुस्त़फ़ा की ह़क़ीक़ी मा'ना में आईनादार थी, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का उठना बैठना, खाना पीना, चलना फिरना और बात चीत करना सब सुन्नत के मुत़ाबिक़ होता था । सुन्नतों से मह़ब्बत का येह आ़लम था कि एक बार आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ कहीं दा'वत में शरीक थे, खाना लगा दिया गया, सब को सरकारे