Book Name:Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat
है कि मेरे बारे में उस की इ़बादत के मुतअ़ल्लिक़ ऐसी बात कही जाए जो मुझ में न हो । (تاریخِ بغداد، النعمان بن ثابت :۷۲۹۷، ج ۱۳،ص۳۵۳، ۳۵۴)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ और उन के मज़हरे अतम्म अश्शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का अपनी झूटी ता'रीफ़ से बचने का जज़्बा सद करोड़ मरह़बा ! ऐ काश हम भी अपनी झूटी, सच्ची ता'रीफ़ पर फूले न समाने के बजाए अपने किरदार में मज़ीद निखार पैदा करने की कोशिश किया करें ।
याद रखिये ! अपनी झूटी ता'रीफ़ पर ख़ुश होना शरअ़न जाइज़ नहीं । आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इरशाद फ़रमाते हैं अगर (कोई) अपनी झूटी ता'रीफ़ को दोस्त रखे कि लोग उन फ़ज़ाइल से उस की सना (या'नी ता'रीफ़) करें जो उस में नहीं जब तो सरीह़ ह़रामे क़त़ई़ है । (फ़तावा रज़विय्या, 21/597)
इस लिये किसी को अपनी झूटी ता'रीफ़ करने ही नहीं देना चाहिये, बल्कि अगर कोई हमारी ऐसे अवसाफ़ से ता'रीफ़ करे जो हम में पाए जाते हों, तब भी ऐसे शख़्स की हाथों हाथ इस्लाह़ करने की तरकीब कर ली जाए और उसे ता'रीफ़ करने से बाज़ रहने की तल्क़ीन की जाए । क़ुरआनो ह़दीस की मुक़द्दस ता'लीम से पता चलता है कि अपनी ता'रीफ़ पर ख़ुश हो कर फूल जाने वाला आदमी अल्लाह पाक और उस के रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को बेह़द ना पसन्द है और इस क़िस्म के मर्दों और औरतों के इर्द गिर्द अक्सर चापलूसी करने वालों का मजमअ़ इकठ्ठा हो जाता है और येह ख़ुदग़र्ज़ लोग ता'रीफ़ों के पुल बांध कर आदमी को बे वुक़ूफ़ बनाते हैं और फिर लोगों से अपने मत़लब पूरे करते और बे वुक़ूफ़ बनाने की दास्तान बयान कर के दूसरों को हंसने हंसाने का मौक़अ़ फ़राहम करते रहते हैं । लिहाज़ा हर किसी को चापलूसी करने वालों और मुंह पर ता'रीफ़ करने वालों से होशयार रहना चाहिये और हरगिज़ हरगिज़ अपनी ता'रीफ़ सुन कर ख़ुश न होना चाहिये ।
अपनी ता'रीफ़ सुन कर क्या करें ?
ह़दीसे पाक में है : मद्दाह़ों के मुंह में ख़ाक झोंक दो ।