Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat

Book Name:Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat

  1. मुसलमान भाई को इस से ज़ियादा अफ़्ज़ल फ़ाइदा नहीं दे सकता कि उसे कोई अच्छी बात पहुंचे, तो वोह अपने भाई को पहुंचा दे ।

(جامع بیان العلم و فضلہ، باب دعاء رسول اللہ لمستمع العلم و حافظہ و مبلغہ، الحدیث :۱۸۵،ص۶۲)

  1. अल्लाह पाक जिस के साथ भलाई का इरादा फ़रमाता है उसे दीन की समझ बूझ अ़त़ा फ़रमाता है । (بخاری ، کتاب العلم ،باب العلم  قبل القول والعمل:۱/ ۴۱)

मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! देखा आप ने कि इ़ल्मे दीन सिखाने के किस क़दर ज़ौक़ अफ़्ज़ा फ़ज़ाइल हैं । इन फ़ज़ाइल को पेशे नज़र रखते हुवे अगर आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की सीरते त़य्यिबा पर नज़र डाली जाए, तो अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के ह़िस्से में सवाबे अ़ज़ीम का कितना ज़ख़ीरा होगा । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की सारी ज़िन्दगी इ़ल्मे दीन के

बारे में लिखने लिखाने, इ़ल्मे दीन फैलाने और लोगों की इस्लाह़ की कोशिश का सामान पहुंचाने में बसर हुई । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्मे दीन के कसीर कामों में मसरूफ़िय्यत के साथ साथ इस्तिफ़्ता (या'नी फ़तावा) के जवाबात देने का काम भी करते और येह काम दस माहिर मुफ़्तियों के काम से भी ज़ियादा होता, क्यूंकि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के पास दुन्या के मुख़्तलिफ़ शहरों और मुल्कों जैसे हिन्द, बंगला देश, मौजूदा पाकिस्तान, चीन, अफ़ग़ानिस्तान, अमरीका, अफ़्रीक़ा ह़त्ता कि ह़रमैने शरीफै़न मुह़तरमैन से भी इस्तिफ़्ता आते और बसा अवक़ात तो एक एक वक़्त में पाचं पांच सौ इस्तिफ़्ता जम्अ़ हो जाते ।

(फ़तावा रज़विय्या, 9/449 मुलख़्ख़सन)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                             صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! देखा आप ने कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़तावा नवेसी में किस क़दर मश्ग़ूल रहते और इस मसरूफ़िय्यत की वज्ह आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का फ़न्ने इफ़्ता में कामिल महारत रखना था । येही वज्ह है कि अ़वाम तो अ़वाम बड़े बड़े उ़लमाए किराम और मुफ़्तियाने उ़ज़्ज़ाम भी तह़क़ीक़ी जवाबात और पेचीदा मसाइल के ह़ल के लिये आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की त़रफ़ रुजूअ़ करते । मेरे आक़ा आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने