Book Name:Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat
ह़िफ़्ज़े क़ुरआन क्यूं और कैसे ?
ख़लीफ़ए आ'ला ह़ज़रत मौलाना सय्यिद अय्यूब अ़ली रज़वी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का बयान है कि एक रोज़ आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इरशाद फ़रमाया कि बा'ज़ ना वाक़िफ़ ह़ज़रात मेरे नाम के आगे ह़ाफ़िज़ लिख दिया करते हैं, ह़ालांकि मैं इस लक़ब का अहल नहीं हूं । सय्यिद अय्यूब अ़ली साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने उसी रोज़ से (क़ुरआने पाक का) दौर शुरूअ़ कर दिया, जिस का वक़्त ग़ालिबन इ़शा का वुज़ू फ़रमाने के बा'द से जमाअ़त क़ाइम होने तक मख़्सूस था । रोज़ाना एक पारह याद फ़रमा लिया करते थे, यहां तक कि तीसवें रोज़ तीसवां पारह याद फ़रमा लिया । एक मौक़अ़ पर फ़रमाया कि मैं ने कलामे पाक बित्तरतीब ब कोशिश याद कर लिया और येह इस लिये कि उन बन्दगाने ख़ुदा का (जो मेरे नाम के आगे ह़ाफ़िज़ लिख दिया करते हैं) कहना ग़लत़ साबित न हो ।
(ह़याते आ'ला ह़ज़रत जि. 1/208, अज़ तज़किरए इमाम अह़मद रज़ा, स. 6)
अपनी ता'रीफ़ से बचिये
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस वाक़िए़ से जहां आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के ह़ाफ़िज़े का कमाल मा'लूम हुवा वहीं येह भी मा'लूम हुवा कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को दूसरों की ज़बान से अपने लिये ऐसे अवसाफ़ सुनना जो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ज़ात में न पाए जाते हों किस क़दर ना पसन्द था । इसी त़रह़ का वाक़िआ करोड़ों ह़नफ़ियों के इमाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे आ'ज़म عَلَیْہِ رَحْمَۃُ اللّٰہِ الْاَکْرَم के साथ भी पेश आया ।
इमामे आ'ज़म का तक़्वा
वोह कुछ इस त़रह़ है कि ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ पहले आधी रात इ़बादत किया करते थे । एक दिन रास्ते से गुज़र रहे थे कि किसी को येह कहते सुना कि येह सारी रात इ़बादत में गुज़ारते हैं फिर इस के बा'द पूरी रात इ़बादत करने लगे और फ़रमाते : मुझे अल्लाह पाक से ह़या आती