Book Name:Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat
होती, तो अ़सा के सहारे क़ियाम और रुकूअ़ व सुजूद फ़रमाते, जब ज़ो'फ़ (या'नी कमज़ोरी) ह़द से बढ़ी और मरज़ ने शिद्दत इख़्तियार की, तो नफ़्स पर
हर त़रह़ की तक्लीफ़ व मशक़्क़त बरदाश्त करते हुवे भी रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की आंखों की ठन्डक नमाज़ को अदा फ़रमाया । अल्लाह पाक और उस के ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अह़कामात पर अ़मल करना और उम्मते मुस्लिमा को इन पर अ़मल का दर्स देना, येह ऐसे काम हैं जो सय्यिदी आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की सीरत व किरदार का ह़िस्सा थे ।
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! अल्लाह करीम की इ़बादत करना हमारी ज़िन्दगी का मक़्सद और एक अ़ज़ीम काम है । यक़ीनन जिस त़रह़ नमाज़ व रोज़ा, ह़ज व ज़कात येह सब काम अल्लाह पाक की इ़बादत हैं, इसी त़रह़ हर वोह काम कि जिस में अल्लाह करीम की रिज़ा व ख़ुशनूदी मक़्सूद हो, वोह भी इ़बादत के मफ़्हूम में शामिल होगा । लिहाज़ा अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ ग़रीबों की मदद करना, नादारों के काम बनाना, अहलो इ़याल के लिये रिज़्के़ ह़लाल कमाना, लोगों के दिलों में ख़ुशी दाख़िल करना, नेकी की दा'वत देना और बुराई से रोकना, इ़ल्मे दीन सिखाना, लोगों के दिलों में इ़श्के़ मुस्त़फ़ा के चराग़ रौशन करना, ह़िमायते दीन में क़लम चलाना, ख़ौफ़े ख़ुदा और इ़श्के़ मुस्त़फ़ा में आंसू बहाना वग़ैरा भी इ़बादत के मफ़्हूम में शामिल हैं और इन पर अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से अज्रो सवाब भी मिलेगा । इस त़रह़ देखा जाए, तो आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के शबो रोज़ इ़बादत में ही बसर होते नज़र आते हैं, क्यूंकि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का हर हर लम्ह़ा इ़ल्मे दीन फैलाने, लोगों में अदबे मुस्त़फ़ा के दिये जलाने, दूसरों की ख़ैर ख़्वाही या'नी भला चाहने और हर ह़वाले से मुतअ़ल्लिक़ीन व मुह़िब्बीन की तरबिय्यत फ़रमाने में गुज़रा करता था । आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अक्सर फ़िराके़ मुस्त़फ़ा में ग़मगीन रहते और सर्द आहें भरा करते । गुस्ताख़ाने रसूल की गुस्ताख़ाना इ़बारात को देखते, तो आंखों से आंसूओं की झड़ी लग जाती और प्यारे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ह़िमायत में उन का रद्द करते । ह़दाइके़ बख़्शिश शरीफ़ में फ़रमाते हैं :