Book Name:Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! चन्द रोज़ क़ब्ल ही रमज़ानुल मुबारक का मुक़द्दस महीना अपनी ख़ुश्बूएं लुटाता, अन्वार की बारिश बरसाता, हम आसियों के दिलों को जगमगाता और हमारी बख़्शिश का सामान बनाता हुवा गुज़र गया, मुमकिन है किसी इस्लामी बहन ने मह़ज़ सुस्ती और ग़फ़्लत की वज्ह़ से रमज़ानुल मुबारक के रोज़े छोड़ दिये हों, उन की बारगाह में दस्त बस्ता मदनी इ़ल्तिजा है कि अपनी आख़िरत की फ़िक्र करते हुवे और ग़ज़बे इलाही से डरते हुवे आज तक जितने रोज़े तोड़े या छोड़े उन की तौबा करते हुवे शरई़ रहनुमाई ले कर कफ़्फ़ारा बनता है, तो कफ़्फ़ारा भी अदा कीजिये और उन रोज़ों की क़ज़ा भी कर लीजिये । रोज़ों की क़ज़ा, कफ़्फ़ारे के अह़काम और कफ़्फ़ारा देने का त़रीक़ा जानने के लिये शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मायानाज़ तसनीफ़ "फै़ज़ाने सुन्नत" सफ़ह़ा 1081 ता 1088 का मुत़ालआ कीजिये । बल्कि कोशिश फ़रमा कर अव्वल ता आख़िर पूरी किताब ही पढ़ लीजिये, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّوَجَلَّ मा'लूमात का अनमोल ख़ज़ाना हाथ आएगा । अल्लाह पाक हमें अ़मल करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।
اٰمِیْن بِجاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صلَّی اللہُ تَعَالیٰ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ दा'वते इस्लामी ख़िदमते दीन के कमो बेश 104 शो'बाजात में दीने मतीन का काम कर रही है, इन्ही में से एक शो'बा "मजलिसे मक्तबतुल मदीना" भी है । इस्लामी ता'लीमात को उम्मते मुस्लिमा तक पहुंचाने के लिये शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत बानिये दा'वते इस्लामी ह़ज़रते अ़ल्लामा मौला अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने 1986 में आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना का आग़ाज़ फ़रमाया । दा'वते इस्लामी के इस शो'बे (Department) से पहले तो सिर्फ़ बयानात की