Jannat Ki Baharain

Book Name:Jannat Ki Baharain

उस (जन्नत) में क़िस्म क़िस्म के जवाहिर के मह़ल हैं, ऐसे साफ़ व शफ़्फ़ाफ़ कि अन्दर का ह़िस्सा बाहर से और बाहर का अन्दर से दिखाई दे । (बहारे शरीअ़त, 1/154 (الترغیب والترھیب، کتاب صفۃ الجنۃ والنار، فصل في درجات الجنۃ وغرفھا، الحدیث: ۲۷، ج۴، ص۲۸۱،  जन्नत की दीवारें सोने और चांदी की ईंटों और मुश्क के गारे से बनी हैं । (बहारे शरीअ़त, 1/154  (مجمع الزوائد، کتاب أھل الجنۃ، باب في بناء الجنۃ وصفتہا، الحدیث: ۱۸۶۴۲،ج۱۰، ص۷۳۲، एक ईंट सोने की, एक चांदी की, ज़मीन ज़ा'फ़रान की, कंकरियों की जगह मोती और याक़ूत । (سنن الدارمي، کتاب الرقائق، باب في بناء الجنۃ، الحدیث:۲۸۲۱، ج۲،  ص۴۲۹) एक और रिवायत में है कि "जन्नते अ़दन" की एक ईंट सफे़द मोती की है, एक याक़ूते सुर्ख़ की, एक ज़बरजदे सब्ज़ की, मुश्क का गारा है और घास की जगह ज़ा'फ़रान है, मोती की कंकरियां, अ़म्बर की मिट्टी है ।

(बहारे शरीअ़त, 1/154 (الترغیب والترھیب، کتاب صفۃ الجنۃ والنار، الترغیب في الجنۃ ونعیمھا ، الحدیث: ۳۳، ج۴، ص۲۸۳،

जन्नत के दरया

जन्नत में चार दरया हैं : एक पानी का, दूसरा दूध का, तीसरा शहद का, चौथा शराब का फिर उन से नहरें निकल कर हर एक के मकान में जा रही हैं । वहां की नहरें ज़मीन खोद कर नहीं बल्कि ज़मीन के ऊपर रवां हैं, नहरों का एक किनारा मोती का, दूसरा याक़ूत का है और उन नहरों की ज़मीन ख़ालिस मुश्क की है । (बहारे शरीअ़त, 1/155 (الترغیب والترہیب، کتاب صفۃ الجنۃ والنار،فصل فی انہار الجنۃ،الحدیث۳۵/۵۷۳۴، ج۴، ص۳۱۵،  वहां की शराब दुन्या की सी नहीं जिस में बदबू और कड़वाहट और नशा होता है और पीने वाले बे अ़क़्ल हो जाते हैं, आपे से बाहर हो कर बेहूदा बकते हैं, वोह पाक शराब इन सब बातों से पाक व मुनज़्ज़ा है ।

(बहारे शरीअ़त, 1/155 (''تفسیر ابن کثیر'' ج۷، ص۲۸۹،

जन्नत के खाने

जन्नत में हर क़िस्म के लज़ीज़ से लज़ीज़ खाने मिलेंगे, जो चाहेंगे फ़ौरन उन के सामने मौजूद होगा । (बहारे शरीअ़त, 1/155 (تفسیر ابن کثیر''،ج۷، ص۱۶۲، अगर किसी परिन्द को देख कर उस के गोश्त खाने को जी हो, तो उसी वक़्त भुना