Book Name:Jannat Ki Baharain
जन्नत के बाज़ार और दीदारे रब्बे ग़फ़्फ़ार
जन्नत में नींद नहीं (क्यूं) कि नींद एक क़िस्म की मौत है । (معجم اوسط ،۱/۲۶۶،حدیث:۹ ۱۹) और जन्नत में मौत नहीं । जन्नती जब जन्नत में जाएंगे हर एक अपने आ'माल की मिक़्दार से मर्तबा पाएगा और उस के फ़ज़्ल की ह़द नहीं । उन्हें दुन्या के एक हफ़्ते की मिक़्दार के बा'द इजाज़त दी जाएगी कि अपने परवर दगार की ज़ियारत करें, अ़र्शे इलाही ज़ाहिर होगा और रब्बे करीम जन्नत के बाग़ों में से एक बाग़ में तजल्ली फ़रमाएगा और जन्नतियों के लिये मिम्बर बिछाए जाएंगे, नूर के मिम्बर, मोती के मिम्बर, याक़ूत के मिम्बर, ज़बरजद के मिम्बर, सोने के मिम्बर, चांदी के मिम्बर, और उन में का अदना मुश्क व काफ़ूर के टीले पर बैठेगा और उन में अदना कोई नहीं, अपने गुमान में कुर्सी वालों को कुछ अपने से बढ़ कर न समझेंगे और अल्लाह पाक का दीदार ऐसा साफ़ होगा जैसे आफ़्ताब और चौदहवीं रात के चांद को हर एक अपनी अपनी जगह से देखता है कि एक का देखना दूसरे के लिये मानेअ़ (या'नी रुकावट) नहीं और अल्लाह पाक हर एक पर तजल्ली फ़रमाएगा उन में से किसी को फ़रमाएगा : ऐ फ़ुलां बिन फ़ुलां ! तुझे याद है, जिस दिन तू ने ऐसा ऐसा किया था ? दुन्या के बा'ज़ मआसी या'नी गुनाह याद दिलाएगा । बन्दा अ़र्ज़ करेगा : या रब्बे करीम ! क्या तू ने मुझे बख़्श न दिया ? फ़रमाएगा : हां ! मेरी मग़फ़िरत की वुस्अ़त ही की वज्ह से तू इस मर्तबे को पहुंचा, वोह सब इसी ह़ालत में होंगे कि अब्र छाएगा और उन पर ख़ुश्बू बरसाएगा कि इस की सी ख़ुश्बू उन लोगों ने कभी न पाई थी और अल्लाह पाक फ़रमाएगा कि जाओ उस की त़रफ़ जो मैं ने तुम्हारे लिये इ़ज़्ज़त तय्यार कर रखी है, जो चाहो लो, फिर लोग एक बाज़ार में जाएंगे जिसे मलाइका घेरे हुवे हैं । उस में वोह चीज़ें होंगी कि उन की मिस्ल न आंखों ने देखी, न कानों ने सुनी और न ही क़ुलूब पर उन का ख़त़रा गुज़रा । उस में से जो चीज़ चाहेंगे उन के साथ कर दी जाएगी और ख़रीदो फ़रोख़्त न होगी, जन्नती उस बाज़ार में बाहम मिलेंगे । छोटे मर्तबे वाला बड़े मर्तबे वाले को देखेगा, उस का लिबास पसन्द करेगा, हुनूज़ या'नी अभी गुफ़्तगू ख़त्म भी न होगी कि ख़याल