Jannat Ki Baharain

Book Name:Jannat Ki Baharain

          माहे रमज़ानुल मुबारक की आमद आमद है । इस माहे मुबारक में इस्लामी बहनें ख़ुसूसिय्यत के साथ नमाज़े तरावीह़ और सलातुत्तस्बीह़ का एहतिमाम फ़रमाती हैं । निय्यत फ़रमा लीजिये कि इन दो अह़ादीसे मुबारका पर अ़मल करते हुवे जिस त़रह़ पन्जवक़्ता नमाज़ हम घरों पर अदा फ़रमाती हैं, इसी त़रह़ नमाज़े तरावीह़ व सलातुत्तस्बीह़ अपने घर में ही अदा फ़रमाएंगी ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ माहे रमज़ानुल मुबारक में शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत बा'दे नमाज़े अ़सर व बा'दे नमाज़े तरावीह़ मदनी मुज़ाकरे के लिये वक़्त अ़त़ा फ़रमाते हैं जो कि मदनी चेनल पर बराहे रास्त पेश किया जाता है । तमाम इस्लामी बहनों से मदनी इल्तिजा है कि लाज़िमी इन दोनों मदनी मुज़ाकरों में ख़ुद भी शिर्कत फ़रमाएं बल्कि घर के दीगर अफ़राद को भी एहतिमाम के साथ इन मदनी मुज़ाकरों को दिखाने की तरकीब बनाएं, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ इ़ल्मो ह़िक्मत के बे शुमार मोती मिलेंगे ।

          रिश्तों की रुकावट दूर होने का वज़ीफ़ा : अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने इरशाद फ़रमाया है कि माहे रमज़ान की 12वीं शब (या'नी 11वीं की दरमियानी शब) बा'दे नमाज़े इ़शा 12 रक्अ़तें 2, 2 रक्अ़त से पढ़ें और प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में इन नवाफ़िल का सवाब नज़्र करें और रो रो कर रब عَزَّ  وَجَلَّ की बारगाह में दुआ करें, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ अगला रमज़ान आने से पहले ही शादी हो जाएगी । (मदनी मुज़ाकरा, सिलसिला : 743)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                 صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार

सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पढ़े जाने वाले

6 दुरूदे पाक और 2 दुआएं

{1} शबे जुमुआ का दुरूद :

اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ

وَعَلٰی  اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ   الْجَاہِ