Book Name:Jannat Ki Baharain
रहा है । आइये ! हम गुनाहों को रोकने और दीन के फैलाने के लिये अपना सरमाया ख़र्च करने का अ़ज़्म करें ।
(दीन की ता'लीम के साथ साथ दुन्यावी ता'लीम)
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ ! दारुल मदीना की ब्रान्चिज़ की ता'दाद 51 है जो मुल्क और बैरूने मुल्क में क़ाइम हैं, जिस में 15000 से ज़ाइद मदनी मुन्ने और मदनी मुन्नियां दुन्यावी ता'लीम के साथ साथ दीन की ता'लीम भी ह़ासिल कर रहे हैं । निय्यत फ़रमा लीजिये कि अपने तमाम तर सदक़ाते वाजिबा व नाफ़िला (ज़कात, सदक़ा, ख़ैरात वग़ैरा) आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी को देंगी, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ । अल्लाह तआला अ़मल की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
तमाम इस्लामी बहनें येह पेम्फ़लेट "माहे रमज़ान में गुनाह करने वाले की क़ब्र का भयानक मन्ज़र" मकतबतुल मदीना से ज़ियादा ता'दाद में वरना कम अज़ कम 12 या ह़स्बे तौफ़ीक़ ख़रीद फ़रमा कर इसे तक़्सीम फ़रमाएं और अपने घर में नुमायां जगह पर आवेज़ां फ़रमाएं, इस की बरकत से गुनाहों से बचने का जे़हन बनेगा । اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ
ह़ज़रते सय्यिदतुना उम्मे सलमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا फ़रमाती हैं कि शहनशाहे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : औरत का अपने कमरे में नमाज़ पढ़ना घर के इह़ाते़ में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है और उस का इह़ात़े में नमाज़ पढ़ना सेह़न में नमाज़ पढ़ने से अफ़्ज़ल है और सेह़न में नमाज़ पढ़ना घर से बाहर नमाज़ पढ़ने से अफ़्ज़ल है । (जन्नत में ले जाने वाले आ'माल, स. 102)
इसी त़रह़ एक और ह़दीसे मुबारका उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदतुना उम्मे सलमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا से रिवायत है कि सय्यिदुल मुबल्लिग़ीन, रह़मतुल्लिल आलमीन صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : औरतों के नमाज़ पढ़ने के लिये सब से बेहतरीन जगह उन के घरों के तेहख़ाने हैं ।