Book Name:Jannat Ki Baharain
ह़ज़रते अह़मद सावी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالھَادِی बा'ज़ बुज़ुर्गों से नक़्ल करते हैं : इस दुरूद शरीफ़ को एक बार पढ़ने से छे लाख दुरूद शरीफ़ पढ़ने का सवाब ह़ासिल होता है । ((اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات
{6} क़ुर्बे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍکَمَا تُحِبُّ وَتَرْضٰی لَہٗ
एक दिन एक शख़्स आया तो ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उसे अपने और सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के दरमियान बिठा लिया । इस से सह़ाबए किराम رِضْوَانُ اللّٰہِ تَعَالٰی عَلَیْھِم اَجْمَعِیْن को तअ़ज्जुब हुवा कि येह कौन ज़ी मर्तबा है ! ! ! जब वोह चला गया, तो सरकार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : येह जब मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ता है, तो यूं पढ़ता है । (اَلْقَوْلُ الْبَدِیْع ص١٢٥)
جَزَی اللّٰہُ عَنَّا مُحَمَّدًا مَا ھُوَ اَھْلُہٗ
ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : इस को पढ़ने वाले के लिये सत्तर फ़िरिश्ते एक हज़ार दिन तक नेकियां लिखते हैं । ( (مَجْمَعُ الزَّوَائِد
फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : जिस ने इस दुआ को 3 मरतबा पढ़ा, तो गोया उस ने शबे क़द्र ह़ासिल कर ली । (تاریخ ابنِ عساکر،۱۹/۱۵۵،حدیث:۴۴۱۵)
दुआ येह है :
لَآ اِلٰہَ اِلَّااللہُ الْحَلِیْمُ الْکَرِیْمُ ،سُبحٰنَ اللہ ِ رَبِّ السَّمٰوٰتِ السَّبْعِ وَرَبِّ الْعَرْشِ الْعَظِیْم
(या'नी ख़ुदाए ह़लीम व करीम के सिवा कोई इ़बादत के लाइक़ नहीं । अल्लाह पाक, पाक है जो सातों आसमानों और अ़र्शे अ़ज़ीम का परवर दगार है)
(फ़ैज़ाने सुन्नत, जिल्द अव्वल, स. 1163-1164)