Book Name:Jannat Ki Baharain
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! किस क़दर ह़ैरत बालाए ह़ैरत है कि अगर हमारा कोई पड़ोसी या अ़ज़ीज़ बुलन्दो बाला कोठी तय्यार कर ले या बेहतरीन कार (CAR) ख़रीदे या किसी भी सूरत अपनी दुन्यावी आसाइश का मे'यार बुलन्द कर ले, तो हम फ़ौरन उस से आगे बढ़ने की जुस्तजू में मगन हो जाते हैं, एक धुन सी लग जाती है लेकिन हाए अफ़्सोस कि हम मुत्तक़ी व परहेज़गार लोगों को देख कर येह तमन्ना क्यूं नहीं करती कि जिस त़रह़ येह जन्नत के दरजों की बुलन्दी की त़रफ़ बढ़ रहे हैं, मैं भी इसी त़रह़ कोशिश करूं, मैं भी नमाज़ की पाबन्द बनूं, तिलावत करूं, सुन्नतों की पैकर बनूं, मदनी इनआमात की आमिला बनूं, दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में अव्वल ता आख़िर शिर्कत करूं ।
याद रखिये ! जिस त़रह़ ज़ाहिरी इ़बादात व ह़ुस्ने अख़्लाक़ के ए'तिबार से लोगों को मुख़्तलिफ़ दरजों में तक़्सीम किया जाता है, इसी त़रह़ अज्रो सवाब के दरजों की भी तक़्सीम है । लिहाज़ा अगर हम सब से आ'ला दरजा ह़ासिल करने की तमन्ना रखती हैं, तो इस के लिये भरपूर कोशिश करनी होगी । चुनान्चे, पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 133 में इरशाद होता है :
وَ سَارِعُوْۤا اِلٰى مَغْفِرَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَ جَنَّةٍ عَرْضُهَا السَّمٰوٰتُ وَ الْاَرْضُۙ-اُعِدَّتْ لِلْمُتَّقِیْنَۙ(۱۳۳)
(پ 4، سورہ اٰل عمران : 133)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और अपने रब की बख़्शिश और उस जन्नत की त़रफ़ दौड़ो जिस की वुस्अ़त आसमानों और ज़मीन के बराबर है, वोह परहेज़गारों के लिये तय्यार की गई है ।
सदरुल अफ़ाज़िल, मौलाना मुफ़्ती सय्यिद मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالھَادِی फ़रमाते हैं : दौड़ो से मुराद तौबा, अदाए फ़राइज़ व त़ाआत व इख़्लास वाले अ़मल इख़्तियार कर के (या'नी अल्लाह पाक की बारगाह में अपने गुनाहों से तौबा करते हुवे, फ़राइज़ मसलन नमाज़ व रोज़ा वग़ैरा और दीगर अह़कामाते शरइ़य्या पर इख़्लास के साथ अ़मल के ज़रीए़ रब्बे करीम की बख़्शिश और जन्नत की त़रफ़ दौड़ो कि येह रास्ते जन्नत की त़रफ़ ले जाते हैं) ।