Book Name:Gunahon Ki Nahosat
मुन्कशिफ़ (या'नी ज़ाहिर) फ़रमा । अल्लाह पाक की बारगाह में आप की इल्तिजा फ़ौरन मस्मूअ़ हुई (या'नी सुनी गई) और देखते ही देखते आप के और उस मुर्दे के दरमियान जितने पर्दे ह़ाइल थे, तमाम उठा दिये गए, अब एक क़ब्र का भयानक मन्ज़र आप के सामने था । क्या देखते हैं कि मुर्दा आग की लपेट में है और रो रो कर आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم से इस त़रह़ फ़रयाद कर रहा है : یَاعَلِیُّ ! اَنَا غَرِیْقٌ فِی النَّارِ وَحَرِیْقٌ فِی النَّارِ या’नी या अ़ली کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم ! मैं आग में डूबा हुवा हूं और आग में जल रहा हूं । क़ब्र के दहशत नाक मन्ज़र और मुर्दे की दर्दनाक पुकार ने है़दरे कर्रार کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم को बे क़रार कर दिया । आप کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم ने अपने रह़मत वाले परवर दगार के दरबार में हाथ उठा दिये और निहायत ही आजिज़ी के साथ उस मय्यित की बख़्शिश के लिये दरख़ास्त पेश की । ग़ैब से आवाज़ आई : ऐ अ़ली (کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم) ! आप (کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم) इस की सिफ़ारिश न ही फ़रमाएं क्यूंकि रोज़े रखने के बा वुजूद येह शख़्स रमज़ानुल मुबारक की बे हु़र्मती करता, रमज़ानुल मुबारक में भी गुनाहों से बाज़ न आता था, दिन को रोज़े तो रख लेता मगर रातों को गुनाहों में मुब्तला रहता था । मौलाए काइनात, अ़लिय्युल मुर्तज़ा, शेरे ख़ुदा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم येह सुन कर और भी रन्जीदा हो गए और सजदे में गिर कर रो रो कर अ़र्ज़ करने लगे : या अल्लाह करीम ! मेरी लाज तेरे हाथ में है, इस बन्दे ने बड़ी उम्मीद के साथ मुझे पुकारा है, मेरे मालिक ! तू मुझे इस के आगे रुस्वा न फ़रमा, इस की बेबसी पर रह़म फ़रमा दे और इस बेचारे को बख़्श दे । ह़ज़रते अ़ली کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم रो रो कर मुनाजात कर रहे थे । अल्लाह करीम की रह़मत का दरया जोश में आ गया और निदा आई : ऐ अ़ली (کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم) ! हम ने तुम्हारी शिकस्ता दिली के सबब इसे बख़्श दिया । चुनान्चे, उस मुर्दे पर से अ़ज़ाब उठा लिया गया । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 922, انیسُ الْواعِظین ص۲۵)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस ह़िकायत में हमारे लिये इ़ब्रत के बे शुमार मदनी फूल हैं । ज़िन्दा इन्सान ख़ूब फुदक्ता है मगर जब मौत का शिकार हो कर क़ब्र में उतार दिया जाता है, उस वक़्त आंखें बन्द होने के बजाए ह़क़ीक़त