Book Name:Gunahon Ki Nahosat
अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! हम में से हर शख़्स वोह चीज़ नहीं पाता, जिस से रोज़ा इफ़्त़ार करवाए । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक येह सवाब (तो) उस (शख़्स) को देगा जो एक घूंट दूध या एक खजूर या एक घूंट पानी से रोज़ा इफ़्त़ार करवाए और जिस ने रोज़ादार को पेट भर कर खिलाया, उस को अल्लाह करीम मेरे ह़ौज़ से पिलाएगा कि कभी प्यासा न होगा यहां तक कि जन्नत में दाख़िल हो जाए । येह वोह महीना है कि इस का अव्वल (या'नी इब्तिदाई दस दिन) रह़मत है और इस का औसत़ (या'नी दरमियानी दस दिन) मग़फ़िरत है और आख़िर (या'नी आख़िरी दस दिन) जहन्नम से आज़ादी है । जो अपने ग़ुलाम पर इस महीने में तख़्फ़ीफ़ करे (या'नी काम कम ले) अल्लाह पाक उसे बख़्श देगा और जहन्नम से आज़ाद फ़रमा देगा । इस महीने में चार बातों की कसरत करो, उन में से दो ऐसी हैं जिन के ज़रीए़ तुम अपने रब्बे करीम को राज़ी करोगे और बक़िय्या दो से तुम्हें बे नियाज़ी नहीं । पस वोह दो बातें जिन के ज़रीए़ तुम अपने रब عَزَّوَجَلَّ को राज़ी करोगे वोह येह हैं : (1) لَآاِلٰہَ اِلَّا اللہُ की गवाही देना । (2) इस्तिग़फ़ार करना । जब कि वोह दो बातें जिन से तुम्हें ग़ना (या'नी बे नियाज़ी) नहीं वोह येह हैं : (1) अल्लाह पाक से जन्नत त़लब करना । (2) जहन्नम से अल्लाह करीम की पनाह त़लब करना । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 857, (صحیح ابنِ خُزَیمہ، ج۳ ،ص:۱۹۱،حدیث:۱۸۸۷
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! हमारी ख़ुश नसीबी कि एक बार फिर अल्लाह करीम ने हमें रमज़ानुल मुबारक का महीना देखना नसीब फ़रमाया, चन्द साअ़तों बा'द माहे रमज़ान की आमद आमद है, इस माहे मुबारक की जल्वागरी तो क्या होती है, अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से रह़मत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और ख़ूब मग़फ़िरत के परवाने तक़्सीम होते हैं । लिहाज़ा हमें इस की आमद पर ख़ूब ख़ुशी का इज़्हार करना चाहिये और इस के इस्तिक़्बाल के लिये पहले से तय्यारी करनी चाहिये । अभी जो ह़दीसे पाक आप के सामने बयान की गई, उस से माहे रमज़ानुल मुबारक की रह़मतों, बरकतों और अ़ज़मतों का ख़ूब ख़ूब अन्दाज़ा लगाया जा सकता है । जैसा कि आप ने मुलाह़ज़ा