Book Name:Gunahon Ki Nahosat
दुशवार हो जाता है, उस का दिल नेकी की त़रफ़ माइल ही नहीं होता । अगर वोह नेकी की त़रफ़ आ भी गया, तो बसा अवक़ात उस का जी इसी सियाही के सबब नेकी में नहीं लगता और वोह सुन्नतों भरे मदनी माह़ोल से भागने ही की तदबीरें सोचता है, उस का नफ़्स उसे लम्बी उम्मीदें दिलाता, ग़फ़्लत उसे घेर लेती और वोह बद नसीब सुन्नतों भरे मदनी माह़ोल से दूर जा पड़ता है ।
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस सियाह क़ल्बी का इ़लाज ज़रूरी है और इस के इ़लाज का एक मुअस्सिर ज़रीआ पीरे कामिल भी है, या'नी किसी ऐसे बुज़ुर्ग से बैअ़त की जाए जो परहेज़गार और सुन्नत का पैकर हो, जिस की ज़ियारत ख़ुदाए पाक व मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की याद दिलाए, जिस की बातें सलातो सुन्नत का शौक़ उभारने वाली हों, जिस की सोह़बत मौत व आख़िरत की तय्यारी का जज़्बा बढ़ाती हो । अगर ऐसा पीरे कामिल मुयस्सर आ जाए तो, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ दिल की सियाही का ज़रूर इ़लाज हो जाएगा । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 920) और येह अल्लाह करीम का ख़ास करम है कि वोह हर दौर में अपने प्यारे मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उम्मत की इस्लाह़ के लिये अपने औलियाए किराम رَحِمَہُمُ اللہُ السَّلَام ज़रूर पैदा फ़रमाता है जो अपनी मोमिनाना ह़िक्मत व फ़िरासत के ज़रीए़ लोगों को येह जे़हन देने की कोशिश फ़रमाते हैं कि "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ ।"
फ़ी ज़माना मुर्शिदे कामिल की एक मिसाल शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार, क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ हैं जिन की निगाहे विलायत ने लाखों मुसलमानों बिल ख़ुसूस नौजवानों की ज़िन्दगियों में मदनी इन्कि़लाब बरपा कर दिया । जो इस्लामी बहन किसी की मुरीद न हों, उन की ख़िदमत में मशवरतन अ़र्ज़ है कि अपनी दुन्या व आख़िरत की बेहतरी के लिये इस ज़माने के सिलसिलए आलिय्या क़ादिरिय्या रज़विय्या के अ़ज़ीम बुज़ुर्ग और