Gunahon Ki Nahosat

Book Name:Gunahon Ki Nahosat

ख़ात़िर जहां तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगी । ٭ ज़रूरतन सिमट सरक कर दूसरी इस्लामी बहनों के लिये जगह कुशादा करूंगी । ٭ धक्का वग़ैरा लगा, तो सब्र करूंगी, घूरने, झिड़कने और उलझने से बचूंगी । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                 صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

आक़ा صلی اللہ علیہ وسلم का बयाने जन्नत निशान

ह़ज़रते सय्यिदुना सलमान फ़ारसी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं कि मह़बूबे रह़मान, सरवरे ज़ीशान, रह़मते आलमिय्यान, मक्की मदनी सुल्त़ान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने माहे शा'बान के आख़िरी दिन बयान फ़रमाया : ऐ लोगो ! तुम्हारे पास अ़ज़मत वाला, बरकत वाला महीना आया, वोह महीना जिस में एक रात (ऐसी भी है जो) हज़ार महीनों से बेहतर है । इस (माहे मुबारक) के रोज़े अल्लाह पाक ने फ़र्ज़ किये और इस की रात में क़ियाम तत़व्वोअ़ (या'नी सुन्नत) है, जो इस में नेकी का काम करे, तो ऐसा है जैसे और किसी महीने में फ़र्ज़ अदा किया और इस में जिस ने फ़र्ज़ अदा किया, तो ऐसा है जैसे और दिनों में सत्तर फ़र्ज़ अदा किये । येह महीना सब्र का है और सब्र का सवाब जन्नत है और येह महीना मुआसात (या'नी ग़म ख़्वारी और भलाई) का है और इस महीने में मोमिन का रिज़्क़ बढ़ाया जाता है । जो इस में रोज़ादार को इफ़्त़ार कराए, उस के गुनाहों के लिये मग़फ़िरत है और उस की गरदन आग से आज़ाद कर दी जाएगी और उस इफ़्त़ार कराने वाले को वैसा ही सवाब मिलेगा जैसा रोज़ा रखने वाले को मिलेगा, बिग़ैर इस के कि उस के अज्र में कुछ कमी हो । हम ने