Book Name:Tawakkul aur Qana'at
1. पाक मुझे भी उन (ख़ुश नसीब) लोगों में से कर दे । ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने दुआ़ फ़रमाई : ऐ अल्लाह पाक ! उ़क्काशा को भी उन में से कर दे फिर एक और शख़्स ने खड़े हो कर अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم) ! मेरे लिए भी दुआ़ फ़रमाइए कि अल्लाह पाक मुझे भी उन में से कर दे । ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : (इस दुआ़ में) उ़क्काशा तुम पर सब्क़त ले गए । (بخاری ، ۴ / ۲۵۸ ، حدیث : ۶۵۴۱)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा ह़दीसे पाक का मक़्सद येह है कि हम तवक्कुल के आ़दी बन जाएं और अल्लाह पाक के फ़ज़्ल से बे ह़िसाब जन्नत में दाख़िल हो जाएं । तवक्कुल की आ़दत अपनाने, नेकियां करने, लालच और दूसरे गुनाहों से बचने और दूसरों को बचाने, सुन्नतों पर अ़मल का जज़्बा पाने के लिए दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर 12 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिए । 12 मदनी कामों में से हफ़्तावार एक मदनी काम “ मदनी दर्स “ भी है, जो इ़ल्मे दीन सीखने, सिखाने का मुअस्सिर तरीन ज़रीआ़ है ।
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की चन्द कुतुबो रसाइल के इ़लावा आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की बाक़ी तमाम कुतुबो रसाइल बिल ख़ुसूस “ फै़ज़ाने सुन्नत “ पेहली जिल्द, “ फै़ज़ाने सुन्नत “ दूसरी जिल्द के इन अब्वाब : (1) ग़ीबत की तबाहकारियां और (2) नेकी की दावत । “ फै़ज़ाने सुन्नत “ तीसरी जिल्द के बाब “ फै़ज़ाने नमाज़ “ से मस्जिद, चौक, बाज़ार, दुकान, दफ़्तर और घर वग़ैरा में दर्स देने को तन्ज़ीमी इस्त़िलाह़ में “ मदनी दर्स “ केहते हैं । मदनी दर्स बहुत ही प्यारा मदनी काम है कि इस की बरकत से ٭ मस्जिद की ह़ाज़िरी की बार बार सआ़दत नसीब होती है । ٭ मुसलमानों से मुलाक़ात व सलाम की सुन्नत आ़म होती है । ٭ अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के मुख़्तलिफ़ मौज़ूआ़त पर मुश्तमिल कुतुबो रसाइल से इ़ल्मे दीन से मालामाल क़ीमती मालूमात उम्मते मुस्लिमा तक पहुंचाई जा सकती हैं । ٭ बे नमाज़ियों को नमाज़ी बनाने में बहुत मददगार है । ٭ मस्जिद के इ़लावा चौक, बाज़ार, दुकान वग़ैरा में अगर “ मदनी दर्स “ होगा, तो इस की बरकत से आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल की वहां भी मश्हूरी व नेक नामी होगी । आइए ! तरग़ीब के लिए मदनी दर्स का एक वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
एक इस्लामी भाई के किरदार में बुरी सोह़बतों की वज्ह से इस क़दर बिगाड़ पैदा हो गया था कि उन्हें छोटों पर शफ़्क़त का कोई एह़सास था, न ही बड़ों के अदबो एह़तिराम का कोई ख़याल, बात बात पर लड़ाई झगड़ा करना उन का मामूल बन चुका था, ह़त्ता कि उन की बुरी आ़दतों की वज्ह से घरवाले भी तंग आ चुके थे । एक दिन “ दर्से फै़ज़ाने सुन्नत “ में शिर्कत की सआ़दत नसीब हुई, इस के बाद वोह दर्स में पाबन्दी से शिर्कत करने लगे, यूं “ मदनी दर्स “ की बरकत से उन्हों ने अपनी गुनाहों भरी ज़िन्दगी से तौबा की और बुरी सोह़बतों से पीछा छुड़ा कर आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد