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Book Name:Tawakkul aur Qana'at

उम्मीद रखनी चाहिए और हर वक़्त उस से तवक्कुल, क़नाअ़त दौलत मिलने की दुआ़ मांगते रेहना चाहिए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम ने क़नाअ़त और तवक्कुल से मुतअ़ल्लिक़ सुना : ٭ क़नाअ़त और तवक्कुल ईमान में तरक़्क़ी, अ़मल में बेहतरी और बे शुमार दीनी और दुन्यवी फ़वाइद पाने का सबब हैं । ٭ क़नाअ़त इख़्तियार करने वाले को अल्लाह पाक व रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की रिज़ा ह़ासिल होती है । ٭ वोह अस्बाब से ज़ियादा ख़ालिके़ अस्बाब पर नज़र रखता है । ٭ क़नाअ़त इख़्तियार करना अल्लाह पाक के नेक बन्दों की आ़दत है । ٭ क़नाअ़त करने वाले दुन्या के बे शुमार ग़मों और परेशानियों से नजात पा जाते हैं । ٭ क़नाअ़त बन्दे को लालच से बचाए रखती है । ٭ इन्सान को ख़्वाहिशात का पैरोकार बनने से बचा लेती है और इस की बरकत से ज़िन्दगी सुकून और इत़मीनान से बसर होती है । ٭ इस की बरकत से अल्लाह पाक की राह में ख़र्च करने का जज़्बा मिलता है । ٭ दिल से दुन्या की मह़ब्बत ख़त्म कर देती है । ٭ क़नाअ़त करने वाला अल्लाह पाक और उस के मदनी ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की बारगाह में मह़बूब बनता है । ٭ तवक्कुल करने वाले अल्लाह पाक को प्यारे हैं । ٭ तवक्कुल बन्दए मोमिन के दिल में नूरे ईमान को मज़ीद बढ़ाता है, परेशानियों और मुसीबतों में तवक्कुल ही इस्तिक़ामत, सब्र और बरदाश्त का दर्स देता है । ٭ तवक्कुल करने वाले परेशानियों से मह़फ़ूज़ हो जाते हैं । ٭ तवक्कुल मख़्लूक़ की मोह़्ताजी से बचा लेता है । ٭ तवक्कुल करने वाले को दुन्या व आख़िरत की भलाई नसीब होती है । अल्लाह हमें तवक्कुल और क़नाअ़त की दौलत से मालामाल फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ

प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अगर हम चाहते हैं कि हमें भी तवक्कुल और क़नाअ़त की अ़ज़ीम दौलत नसीब हो जाए, तो हमें इस के लिए बारगाहे इलाही में दुआ़ भी करनी चाहिए नीज़ तवक्कुल व क़नाअ़त के फ़ज़ाइल और लालच व कन्जूसी के वबाल का मुत़ालआ़ करना चाहिए । इस के इ़लावा उ़म्दा अख़्लाक़ और अच्छे औसाफ़ के ह़ामिल नेक लोगों की सोह़बत भी इख़्तियार करनी चाहिए कि सोह़बत इन्सान के किरदार और उस की गुफ़्तार पर लाज़िमी असर अन्दाज़ होती है ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

बैठने के आदाब

          आइए ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले “ भयानक ऊंट “ से बैठने के चन्द आदाब सुनते हैं : ٭ फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم : जो लोग देर तक किसी जगह बैठे और बिग़ैर ज़िक्रुल्लाह और नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم पर दुरूद पढ़े वहां से मुतफ़र्रिक़ हो गए, उन्हों ने नुक़्सान किया, अगर अल्लाह पाक चाहे, अ़ज़ाब दे और चाहे, तो बख़्श दे । (مستدرک ، ۲ / ۱۶۸ ، حدیث : ۱۸۶۹) ٭ ह़ज़रते इबने उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا



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