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Book Name:Tawakkul aur Qana'at

तवक्कुल के फ़वाइद

1.      तवक्कुल करने वाले परेशानियों से मह़फ़ूज़ हो जाते हैं । जैसा कि ह़ुज़ूर दाता गन्ज बख़्श अ़ली हजवेरी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक दिन मेरे मुर्शिदे बरह़क़ ने बैतुल जिन्न से दमिश्क जाने का इरादा फ़रमाया । बारिश की वज्ह से मुझे कीचड़ में चलने में दुशवारी हो रही थी मगर जब मैं ने अपने मुर्शिद की त़रफ़ देखा, तो आप के कपड़े और जूतियां ख़ुश्क थीं । मैं ने आप की बारगाह में अ़र्ज़ की (और इस ह़ैरत अंगेज़ वाक़िए़ की ह़िक्मत पूछी : ) इरशाद फ़रमाया : हां ! जब से मैं ने तवक्कुल की राह में अपने इरादे को ख़त्म कर के बात़िन को लालच के ख़ौफ़ से मह़फ़ूज़ (Safe) किया है, उस वक़्त से अल्लाह पाक ने मुझे कीचड़ से बचा लिया है । (कश्फ़ुल मह़जूब, स. 255) यानी तवक्कुल की बरकत से दुन्यवी मुसीबतों से मुझे आज़ादी दे दी गई है ।

2.      तवक्कुल मख़्लूक़ की मोह़ताजी से बचा लेता है बल्कि तवक्कुल अगर कामिल हो, तो लोग तवक्कुल करने वाले के मोह़ताज हो जाते हैं । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान ख़व्वास رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ ने फ़रमाया : अगर कोई शख़्स सिद्के़ निय्यत से अल्लाह पाक पर तवक्कुल करे, तो अमीर और ग़ैरे अमीर सब उस के मोह़ताज हो जाएंगे लेकिन वोह किसी का मोह़ताज नहीं होगा क्यूंकि उस का मालिक ग़नी व ह़मीद है । (मिन्हाजुल आ़बिदीन, स. 104)

प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारी काम्याबी में सब से बड़ा किरदार ज़ेह्नी और क़ल्बी सुकून का होता है और इस की बदौलत ही इन्सान दुन्या व आख़िरत में सुर्ख़-रू होता है । यक़ीनन ज़ेह्नी व क़ल्बी सुकून मालो दौलत से ज़ियादा बेश क़ीमती ख़ज़ाना है और येह तवक्कुल की बरकत से ह़ासिल कर के दौलतमन्द बना जा सकता है ।

3.      एक बुज़ुर्ग फ़रमाते हैं, मेरे शैख़ رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ अक्सर दफ़्आ़ मजलिस में फ़रमाया करते थे : अपनी तदबीर उस ज़ात के ह़वाले कर दे जिस ने तुझे पैदा फ़रमाया, तू राह़त पाएगा । (मिन्हाजुल आ़बिदीन, स. 113)

4.      तवक्कुल की बे शुमार बरकतों में सब से बड़ी बरकत येह है कि इस की बदौलत ईमान की ह़िफ़ाज़त होती है क्यूंकि शैत़ान जब किसी के ईमान पर ह़म्ला (Attack) करता है, तो सब से पेहले उस का अल्लाह पाक पर यक़ीन और भरोसा कमज़ोर कर देता है, लिहाज़ा अगर हम अपने ईमान की ह़िफ़ाज़त करना चाहते हैं, तो अल्लाह पाक पर कामिल भरोसा रखें । एक बुज़ुर्ग फ़रमाते हैं : मेरे एक दोस्त ने मुझ से ज़िक्र किया कि मेरी एक नेक आदमी से मुलाक़ात हुई, तो मैं ने पूछा : क्या ह़ाल है ? उस ने जवाब दिया : ह़ाल तो उन का है जिन का ईमान मह़फ़ूज़ है और वोह सिर्फ़ मुतवक्किलीन ही हैं जिन का ईमान मह़फ़ूज़ है । (मिन्हाजुल आ़बिदीन, स. 106)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम ने तवक्कुल के फ़वाइद सुने । तवक्कुल, परेशानियों से ह़िफ़ाज़त, मख़्लूक़ की मोह़्ताजी से बचने, ज़ेह्नी व क़ल्बी सुकून के ह़ुसूल के साथ साथ ईमान की सलामती का बाइ़स भी है । इसी त़रह़ तवक्कुल न करने से परेशानियों में मुब्तला होने, मख़्लूक़ की मोह़्ताजी, ज़ेह्नी व क़ल्बी बेचैनी में रेहने के साथ साथ ईमान से हाथ धो बैठने का ख़त़रा (Risk) है । इस लिए हमें हर वक़्त अपने रह़ीम, करीम रब की ज़ात पर भरोसा करना चाहिए, उस से अच्छी



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