Book Name:Tawakkul aur Qana'at
पर हमारा ऐसा कामिल भरोसा होना चाहिए कि जब भी किसी नेक व जाइज़ काम का इरादा या आग़ाज़ करें, तो सिर्फ़ अस्बाब पर नज़र रखने के बजाए ख़ालिके़ अस्बाब की रह़मत पर नज़र होनी चाहिए क्यूंकि अस्बाब तो आ़रज़ी और फ़ानी होते हैं । जो मुसलमान बीमारियों, परेशानियों, आफ़तों, बलाओं, मुसीबतों बल्कि अपने हर मुआ़मले में अल्लाह पाक की ज़ात पर भरोसा करता है, तो उस के वारे ही नियारे हो जाते हैं क्यूंकि तवक्कुल की बरकत से अल्लाह पाक न सिर्फ़ उस का ह़ामी व नासिर होता है बल्कि इस की बरकत से वोह करीम रब उसे इनआ़मो इकराम से भी नवाज़ता है । अल्लाह पाक पारह 28, सूरए त़लाक़ की आयत नम्बर 3 में इरशाद फ़रमाता है :
وَ مَنْ یَّتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ فَهُوَ حَسْبُهٗؕ -( پ ۲۸ ، طلاق : ۳(
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और जो अल्लाह पर भरोसा करे, तो वोह उसे काफ़ी है ।
पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 159 में इरशादे रब्बानी है :
اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَوَكِّلِیْنَ(۱۵۹)) پ ۴ ، آل عمران : ۱۵۹(
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक अल्लाह तवक्कुल करने वाले से मह़ब्बत फ़रमाता है ।
ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ इन आयाते मुबारका के बाद फ़रमाते हैं : वोह मक़ाम कितना अ़ज़ीम है जिस पर फ़ाइज़ शख़्स को अल्लाह पाक की मह़ब्बत ह़ासिल हो और उस को अल्लाह पाक की त़रफ़ से किफ़ायत की ज़मान भी ह़ासिल हो, तो जिस शख़्स के लिए अल्लाह पाक किफ़ायत फ़रमाए, उस से मह़ब्बत करे और उस की रिआ़यत फ़रमाए, उस ने बहुत बड़ी काम्याबी (Success) ह़ासिल की क्यूंकि जो मह़बूब होता है उसे न तो अ़ज़ाब होता है, न दूरी होती है और न ही वोह पर्दे में होता है । (इह़याउल उ़लूम, 4 / 300)
क़ुरआने करीम में एक और मक़ाम पर तवक्कुल करने वालों को मोमिने कामिल बताया गया है । चुनान्चे, अल्लाह पाक पारह 9, सूरतुल अन्फ़ाल की आयत नम्बर 2 में इरशाद फ़रमाता है :
اِنَّمَا الْمُؤْمِنُوْنَ الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَ جِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَ اِذَا تُلِیَتْ عَلَیْهِمْ اٰیٰتُهٗ زَادَتْهُمْ اِیْمَانًا وَّ عَلٰى رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَۚۖ(۲)
)پ ۹ ، الانفال : ۲(
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ईमान वाले वोही हैं कि जब अल्लाह को याद किया जाए, तो उन के दिल डर जाते हैं और जब उन पर उस की आयात की तिलावत की जाती है, तो उन के ईमान में इज़ाफ़ा हो जाता है और वोह अपने रब पर ही भरोसा करते हैं ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ग़ौर कीजिए ! इस आयते करीमा में ईमान में सच्चे और कामिल लोगों के तीन औसाफ़ बयान हुवे हैं । (1) जब रब्बे करीम को याद किया जाए, तो उन के दिल डर जाते हैं । (2) अल्लाह पाक की आयात सुन कर उन के ईमान में इज़ाफ़ा हो जाता है । (3) वोह अपने रब्बे करीम पर ही भरोसा करते हैं । (सिरात़ुल जिनान, 3 / 519, मुल्तक़त़न) अफ़्सोस ! आज हम तवक्कुल से बहुत दूर होते जा रहे हैं, धन कमाने की धुन हम पर ऐसी ग़ालिब आ चुकी है कि तवक्कुल का कश्कोल हाथ से छूट चुका है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد