Book Name:Ala Hazrat Ki Shayeri Aur Ishq e Rasool
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! यक़ीनन एक सच्चे आ़शिके़ रसूल की पेहचान येह होती है कि वोह दुन्या की मह़ब्बत से पीछा छुड़ा कर अपनी ज़िन्दगी के हर हर मुआ़मले में इत़ाअ़ते रसूल को ओढ़ना बिछौना बना लेता है, इस की एक मिसाल अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ज़ाते मुबारका भी है । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ बारहवीं शरीफ़ और बिल ख़ुसूस हर पीर शरीफ़ को रोज़ा रखते और अपने मुरीदों और चाहने वालों को भी हर पीर शरीफ़ का रोज़ा रखने की भरपूर तरग़ीब दिलाते हैं, लिहाज़ा हमें चाहिए कि यादे मुस्त़फ़ा में न सिर्फ़ ख़ुद बल्कि अपने घरवालों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भी बारहवीं शरीफ़ का रोज़ा रखने की दावत दे कर रब्बे करीम की इस अ़ज़ीम नेमत का शुक्र अदा करें और बारगाहे मुस्त़फ़ा में सवाब पेश कर के दुन्या व आख़िरत की बरकतों के ह़क़दार बनें ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अल्लाह पाक के आख़िरी नबी, नबिय्ये मुकर्रम, मुह़म्मदे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की मह़ब्बत हमारे ईमान की बुन्याद है और मह़ब्बत की एक निशानी येह है कि मह़बूब का कसरत से ज़िक्र किया जाए । एक रिवायत में है : مَنْ اَحَبَّ شَیْئًا اَکْثَرَ مِنْ ذِکْرِہٖ जो किसी से मह़ब्बत करता है, उस का कसरत से ज़िक्र करता है । (جامع صغیر، ص۵۰۷،حدیث:۸۳۱۲)
यूं तो हमें सारा साल ही आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का ज़िक्रे ख़ैर करना और अपनी बोल चाल और किरदार के ज़रीए़ आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से मह़ब्बत का इज़्हार करना चाहिए लेकिन बिल ख़ुसूस येह सिलसिला रबीउ़ल अव्वल के मुक़द्दस दिनों में मज़ीद बढ़ जाना चाहिए । इस ज़िक्र का एक बेहतरीन ज़रीआ़ नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم पर दुरूदे पाक पढ़ना भी है क्यूंकि दुरूदे पाक पढ़ने के बे शुमार फ़ज़ाइलो बरकात हैं । मसलन :
दुरूदे पाक की बरकत से दिलों की सफ़ाई और रिज़्क़ में बरकत होती है, पुल सिरात़ पर आसानी नसीब होगी, आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की शफ़ाअ़त नसीब होगी । लिहाज़ा हमें चाहिए कि इस बा बरकत महीने में ज़ियादा से ज़ियादा दुरूदे पाक पढ़ें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम माहे रबीउ़ल अव्वल में किए जाने वाले नेक आमाल के बारे में सुन रहे थे । रबीउ़ल अव्वल में अल्लाह पाक और उस के मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का क़ुर्ब पाने वाले आमाल करें । इस का एक बेहतरीन ज़रीआ़ नवाफ़िल की कसरत भी है, इसी लिए हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن भी फ़राइज़ो वाजिबात के साथ साथ नवाफ़िल की कसरत किया करते थे । आइए ! रबीउ़ल अव्वल और बिल ख़ुसूस बारहवीं शरीफ़ के चन्द नवाफ़िल के बारे में सुनते हैं । चुनान्चे,
रबीउ़ल अव्वल की पेहली रात नमाज़े मग़रिब के बाद 2 रक्अ़त नफ़्ल इस त़रह़ पढ़िए कि हर रक्अ़त में सूरए फ़ातिह़ा के बाद 3 बार सूरए इख़्लास (قُلْ ہُوَاللہُ اَحَد) की तिलावत कीजिए और