Book Name:Ala Hazrat Ki Shayeri Aur Ishq e Rasool
रबीउ़ल अव्वल और इरबिल का बादशाह
इरबिल के बादशाह जिन का नाम सई़द मुज़फ़्फ़र है, जो अ़ज़ीम फ़ातेह़, सुल्त़ान सलाहु़द्दीन अय्यूबी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ के बेहनोई थे, बहुत सख़ी, नेक और आ़दिल होने के साथ आ़लिम, बड़े बहादुर और ज़हीन भी थे । उन्हों ने अपने बाद कई अच्छी यादगारें छोड़ीं । हर साल रबीउ़ल अव्वल के मुबारक महीने का बड़ा ही अदबो एह़तिराम करते, बिल ख़ुसूस इस महीने में मीलाद शरीफ़ बड़े ही एहतिमाम से मनाते और बहुत बड़ी मेह़फ़िल का एहतिमाम करते । (البدایۃ والنہایۃ،۹/۱۸ ملخصاً)
इन मह़ाफ़िल में शिर्कत करने वालों का बयान है : उन्हों ने मेह़फ़िले मीलाद में भुनी हुई बकरियों के पांच हज़ार सर देखे, 10 हज़ार मुर्गि़यां, फ़ीरनी के एक लाख प्याले और ह़ल्वे के 30 हज़ार थाल देखे । बहुत से उ़लमा और सूफ़िया मेह़फ़िले मीलाद में शिर्कत करते थे । बादशाह (अबू सई़द मुज़फ़्फ़र رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ) उन्हें क़ीमती लिबास पेहनाते और इनआ़मात से नवाज़ते, वोह हर साल मेह़फ़िले मीलाद पर तीन लाख दीनार ख़र्च करते थे । मेहमानों के लिए मेहमान ख़ाना होता था, वोह हर साल इस में सालाना एक लाख दीनार ख़र्च करते थे, तीस हज़ार दीनार ख़र्च कर के ह़रमैन शरीफै़न के रास्ते दुरुस्त करवाते । येह सदक़ात उन सदक़ात के इ़लावा थे जिन्हें पोशीदा त़ौर पर किया जाता था । (سبل الہدی والرشاد،۱/۳۶۲ بتغیر قلیل)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن इस माहे मुबारक का बेह़द अदबो एह़तिराम और ख़ूब सदक़ा व ख़ैरात करते हैं । आइए ! मीलादे मुस्त़फ़ा की बरकतों पर मुश्तमिल उ़लमाए किराम के इरशादात सुनते हैं । चुनान्चे, ह़ज़रते इमाम अ़ब्दुर्रह़मान इबने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जश्ने विलादत पर ख़ुशी करने वाले के लिए येह ख़ुशी दोज़ख़ से रुकावट बनेगी । ऐ उम्मते मह़बूब ! तुम्हारे लिए ख़ुश ख़बरी हो ! तुम दुन्या व आख़िरत में बहुत ज़ियादा भलाई के ह़क़दार क़रार पाए । रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का जश्ने विलादत मनाने वाले को बरकत, इ़ज़्ज़त, भलाई और फ़ख़्र मिलेगा, मोतियों का इ़मामा और हरे रंग का जन्नती लिबास पेहन कर वोह दाख़िले जन्नत होगा, बे शुमार मह़ल्लात उसे अ़त़ा किए जाएंगे और हर मह़ल में ह़ूर होगी । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم पर ख़ूब दुरूद पढ़िए और जश्ने विलादत मना कर इसे ख़ूब आ़म किया जाए । (مجموع لطیف النبی…الخ،مولد العروس،ص۲۸۱،ملتقطاً)
ह़ज़रते शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहलवी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की विलादत की रात ख़ुशी मनाने वालों को इस नेकी का बदला येह मिलेगा कि अल्लाह करीम उन्हें फ़ज़्लो करम से जन्नतुन्नई़म में दाख़िल फ़रमाएगा । मुसलमान हमेशा से मेह़फ़िले मीलाद का एहतिमाम करते, विलादत की ख़ुशी में दावतें देते, खाने पकवाते और ख़ूब सदक़ा व ख़ैरात करते आए हैं, ख़ूब ख़ुशी का इज़्हार करते और दिल खोल कर ख़र्च करते हैं, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की विलादते बा सआ़दत के ज़िक्र का एहतिमाम करते हैं और इन तमाम नेक और अच्छे आमाल की बरकत से उन लोगों पर अल्लाह करीम की रह़मतें उतरती हैं । (مَا ثَبَتَ با السُّنَّۃ،ص۱۵۵ ملتقطًا) लिहाज़ा हमें भी चाहिए कि शरीअ़त के दाइरे में रेहते हुवे ख़ुसूसिय्यत के साथ ख़ुशी ख़ुशी इस