Ala Hazrat Ki Shayeri Aur Ishq e Rasool

Book Name:Ala Hazrat Ki Shayeri Aur Ishq e Rasool

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रबीउ़ल अव्वल इस्लामी साल का तीसरा अ़ज़ीमुश्शान महीना है । येह महीना फ़ज़ीलतों, सआ़दतों, रह़मतों और रब्बे करीम की नेमतों का मजमूआ़ है, आ़शिक़ाने रसूल इस मुबारक महीने को "माहे मीलाद" के नाम से भी याद करते हैं क्यूंकि वोह ज़ाते पाक जिन को अल्लाह करीम ने तमाम जहानों के लिए रह़मत बना कर भेजा, जिन की ख़ात़िर सारी काइनात को सजाया गया, वोह अ़ज़मतों वाले नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم इसी माहे मुबारक में दुन्या में तशरीफ़ लाए । इस महीने को सब फ़ज़ीलतें, सआ़दतें और बरकतें नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की विलादत के सदके़ नसीब हुईं, इसी मुनासबत से आज के बयान में हम इस मुबारक महीने के फ़ज़ाइलो बरकात, बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के मीलाद मनाने के वाक़िआ़त, इस महीने में किए जाने वाले नेक आमाल के बारे में सुनेंगे और येह भी सुनेंगे कि हमें इस महीने को किस अन्दाज़ में गुज़ारना चाहिए ? अल्लाह पाक हमें पूरा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों और मुकम्मल तवज्जोह के साथ सुनने की तौफ़ीक़ नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! माहे रबीउ़ल अव्वल को इतनी फ़ज़ीलतें क्यूं मिलीं ? ह़ज़रते इमाम ज़करिय्या बिन मुह़म्मद बिन मह़मूद क़ज़्वीनी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह वोह मुबारक महीना है जिस में अल्लाह पाक ने ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के वुजूदे मस्ऊ़द के सदके़ दुन्या वालों पर भलाइयों और सआ़दतों के दरवाज़े खोल दिए हैं । इसी महीने की 12 तारीख़ को रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की विलादत हुई । (अ़जाइबुल मख़्लूक़ात, स. 68)

रबीउ़ल अव्वल केहने की वज्ह

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन जो सआ़दत माहे रबीउ़ल अव्वल के ह़िस्से में आई, वोह किसी और महीने को नसीब नहीं हुई । रबीउ़ल अव्वल के माना क्या हैं ? आइए ! सुनते हैं : रबीअ़ केहते हैं "मौसिमे बहार" को, यानी सर्दी और गर्मी के दरमियान जो मौसिम होता है, उसे "रबीअ़" केहते हैं । अ़रब वाले मौसिमे बहार के इब्तिदाई ज़माने को "रबीउ़ल अव्वल" केहते थे, इस मौसिम में खुम्बी (यानी बरसात में गीली लक्ड़ी के भीगने से छत्री की त़रह़ एक घास उग जाती है, उर्दू में इसे "खुम्बी" केहते हैं) और फूल पैदा होते थे और जिस वक़्त फूलों की पैदावार होती है, इन दिनों को "रबीउ़ल आख़िर" केहते थे । जब महीनों के नाम रखे गए, तो "सफ़र" के बाद वाले 2 महीनों को इन्ही 2 मौसिमों के नामों पर "रबीउ़ल अव्वल" और "रबीउ़ल आख़िर" का नाम दिया गया । (لسان العرب،۱/۱۴۳۵ ملخصاً)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन अल्लाह पाक के आख़िरी नबी, नबिय्ये मुकर्रम, मुह़म्मदे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم जहां में तशरीफ़ न लाते, तो कोई ई़द, ई़द होती, न कोई रात, शबे बराअत, यानी छुटकारे की रात होती बल्कि कौनो मकां की तमाम तर रौनक़ और शान नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के क़दमों की धूल का सदक़ा है । इस मुबारक महीने की बारहवीं तारीख़ बहुत ही सआ़दतों और अ़ज़मतों वाली है क्यूंकि मक्की मदनी, रसूले हाशिमी     صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की