Book Name:Qiyamat Ki Alamaat
ज़ाइद शोबाजात में दीने मतीन की ख़िदमत में मसरूफे़ अ़मल है, इन्ही शोबाजात में से एक "दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत" भी है । सब से पेहला दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत 15 शाबानुल मुअ़ज़्ज़म सिने 1421 हि. को जामेअ़ मस्जिद, कन्ज़ुल ईमान में क़ाइम हुवा और अब तक मुल्के मुर्शिद के मुख़्तलिफ़ अ़लाक़ों और मुख़्तलिफ़ शहरों में भी "दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत" क़ाइम हो चुके हैं, जहां मुफ़्तियाने किराम, उम्मते मुस्लिमा की शरई़ रेहनुमाई में मसरूफे़ अ़मल हैं । इस के इ़लावा दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत के मुफ़्तियाने किराम टेलीफ़ोन और इन्टरनेट पर दुन्या भर के मुसलमानों की त़रफ़ से पूछे जाने वाले मसाइल का ह़ल बताते हैं । इन्टरनेट के ज़रीए़ दुन्या भर से इस ई-मेल ऐड्रेस : darulifta@dawateislami.net पर सुवालात पूछे जा सकते हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी चेनल के सिलसिलों में "दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत" के नाम से एक मक़्बूले आ़म और निहायत मालूमाती सिलसिला भी नश्र किया जाता है ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इ़ल्मे दीन का नूर फैलाने के लिए दावते इस्लामी की मजलिस "आई-टी" (I.T) के तआ़वुन से "दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत" मोबाइल ऐप्लीकेशन (Application) भी आ चुकी है और मज़ीद तरक़्क़ी का सफ़र जारी है । याद रखिए ! सुब्ह़ 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत से राबित़ा किया जा सकता है । दोपहर 1:30 से 2:30 बजे तक वक़्फ़ा होता है और बरोज़ जुम्आ़ छुट्टी होती है । अल्लाह करीम "दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत" को मज़ीद तरक़्क़ियां अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! सफ़रुल मुज़फ़्फ़र का मुबारक महीना हमारे दरमियान अपनी बरकतें लुटा रहा है । 17 सफ़रुल मुज़फ़्फ़र सिने 1398 हि. "उम्मे अ़त़्त़ार" यानी अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की वालिदा माजिदा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہَا का यौम है । तो आइए ! इसी मुनासबत से उम्मे अ़त़्त़ार رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہَا का मुख़्तसर तआ़रुफ़ सुनते हैं ।
उम्मे अ़त़्त़ार رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہَا का ज़िक्रे ख़ैर
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की वालिदए माजिदा एक नेक और परहेज़गार ख़ातून थीं, शौहर की वफ़ात के बा वुजूद सख़्त तरीन मुआ़शी आज़माइशों में भी अपने बच्चों की इस्लामी त़रीके़ पर तरबियत की, जिस का मुंह बोलता सुबूत ख़ुद अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ज़ाते बा बरकत है । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने एक बार बताया :اَلْحَمْدُ لِلّٰہ वालिदए मोह़तरमा का शुरूअ़ ही से फ़राइज़ो वाजिबात पर अ़मल करने और करवाने का इस क़दर ज़ेहन था कि छोटी उ़म्र ही से हम बहन, भाइयों को नमाज़ों की तल्क़ीन फ़रमाने के साथ सख़्ती से अ़मल भी करवातीं, बिल ख़ुसूस नमाज़े फ़ज्र के लिए हम सब को लाज़िमी उठातीं, वालिदए माजिदा की इस त़रह़ तल्क़ीन व तरबियत की बरकत से मुझे याद नहीं पड़ता कि मेरी बचपन में भी कभी नमाज़े फ़ज्र छूटी हो ।