Book Name:Qiyamat Ki Alamaat
मुश्तमिल किताब "तरबियते औलाद" का अव्वल ता आख़िर मुत़ालआ़ करना भी बहुत मुफ़ीद रहेगा । अल्लाह करीम हमें और हमारी औलाद को बा अदब व बा नसीब बनाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! एक और अहम बात जो इस ह़दीसे पाक से हमें मालूम हुई वोह येह है कि ह़ज़रते जिब्रीले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام को मालूम था कि रसूले रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم, अल्लाह पाक की अ़त़ा से ग़ैब जानते हैं और येह बात भी जानते हैं कि क़ियामत कब आएगी, येही वज्ह है कि उन्हों ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से क़ियामत के आने के बारे में सुवाल किया । ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : यहां ह़ज़रते जिब्राईले अमीन (عَلَیْہِ السَّلَام), ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) के इम्तिह़ान या इज़्हारे इ़ज्ज़ (आ़जिज़ी को ज़ाहिर करने) के लिए तो सुवाल कर नहीं रहे हैं बल्कि येह दिखाना चाहते हैं कि ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को क़ियामत का इ़ल्म तो है मगर इस का इज़्हार न फ़रमाया । ख़याल रहे ! ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) ने दूसरे मौक़ओ़ं पर क़ियामत का दिन भी बता दिया, महीना भी, तारीख़ भी कि फ़रमाया : जुम्आ़ को होगी, दसवीं तारीख़, मोह़र्रम के महीने में होगी । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 26) जैसा कि ह़दीस में है : क़ियामत यौमे आ़शूरा, यानी मोह़र्रम के महीने की दस तारीख़ को होगी । (فضائل الاوقات ، باب تخصیص یوم عاشوراء بالذکر، ص۱۱۹، حدیث: ۲۸۲)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! चौथी बात जो इस ह़दीस से मालूम हो रही है वोह येह है कि क़ियामत तो आएगी ही मगर उस के आने से पेहले कुछ निशानियां भी हैं, जो इस बात की निशान देही करेंगी कि क़ियामत आने वाली है । इस ह़दीसे पाक में ग़ैब जानने वाले आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने क़ियामत की 2 निशानियां बयान फ़रमाई हैं । एक येह कि लौन्डी अपने मालिक को पैदा करेगी, दूसरी येह कि नंगे पाउं, नंगे जिस्म वाले मुफ़्लिस और बकरियां चराने वाले बुलन्दो बाला घरों की तामीरात में एक दूसरे पर फ़ख़्र करते होंगे । क़ियामत की इन 2 निशानियों के बारे में मज़ीद वज़ाह़त भी बताई जाएगी । इन अ़लामात के इ़लावा भी अह़ादीसे मुबारका में क़ियामत की कई और निशानियां भी बयान हुई हैं ।
बहारे शरीअ़त में अह़ादीसे मुबारका की रौशनी में क़ियामत की कई निशानियां लिखी हुई हैं । आइए ! उन में से कुछ के बारे में सुनते हैं : ٭ इ़ल्म उठ जाएगा (यानी उ़लमा उठा लिए जाएंगे) । ٭ जब कोई आ़लिम न रहेगा, तो लोग (ब अम्रे मजबूरी) जाहिलों को मुक़्तदा (रेहनुमा) बना लेंगे । ٭ फिर उन से दीनी मसाइल पूछेंगे, तो वोह बिग़ैर इ़ल्म फ़तवे देंगे, तो ख़ुद भी गुमराह हो जाएंगे और दूसरों को भी गुमराह कर देंगे । (بخار ی، کتاب العلم،باب کیف یقبض العلم،۱/۵۴،حدیث:۱۰۰) ٭ जहालत की कसरत होगी । ٭ बदकारी और शराब ख़ोरी आ़म होगी । ٭ मर्द कम होंगे और औ़रतें ज़ियादा, यहां तक