Qiyamat Ki Alamaat

Book Name:Qiyamat Ki Alamaat

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! क़ियामत पर ईमान रखना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि येह अ़क़ीदा मुसलमान के बुन्यादी अ़क़ाइद और ज़रूरिय्याते दीन से है । ज़रूरिय्याते दीन, इस्लाम के वोह अह़काम हैं जिन को हर ख़ासो आ़म जानते हों, जैसे अल्लाह पाक की वह़दानिय्यत (यानी उस का एक होना), अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की नुबुव्वत, नमाज़, रोज़े, ह़ज, जन्नत, दोज़ख़, क़ियामत में उठाया जाना, ह़िसाबो किताब वग़ैरा । इन पर ईमान लाए बिग़ैर कोई मुसलमान नहीं हो सकता ।

          क़ुरआने करीम में क़ियामत को मुख़्तलिफ़ नामों से बयान किया गया है । क़ियामत के तक़रबीन 100 से ज़ाइद नाम हैं । आइए ! उन में से चन्द नाम सुनते हैं : ٭ यौमे क़ज़ा फै़सले का दिन । ٭ यौमे वज़्न नामए आमाल तोलने का दिन । ٭ यौमे मश्हूद ह़ाज़िरी का दिन । ٭ यौमे ख़िज़्य बाज़ लोगों के लिए ज़िल्लत का दिन । ٭ यौमे मुह़ासबा ह़िसाब का दिन । ٭ यौमे ह़सरत पछतावे का दिन । ٭ यौमे अ़क़ीम सख़्त दिन । ٭ यौमे ह़श्र जम्अ़ होने का दिन । ٭ यौमे फ़ज़अ़ घबराहट का दिन । ٭ यौमे बअ़्स क़ब्रों से दोबारा उठने का दिन । ٭ यौमे फ़त्ह़ नामए आमाल खुलने का दिन । ٭ यौमे मीआ़द वादे का दिन । ٭ यौमे सैह़त ज़लज़ले का दिन (चिंघाड़ का दिन) । ٭ यौमे ज़ज्र झिड़क का दिन । ٭ यौमे ह़िसाब ह़िसाब का दिन । ٭ यौमे तलाक़ मुलाक़ात का दिन । ٭ यौमे तनाद पुकार का दिन । ٭ यौमे जम्अ़ जम्अ़ होने का दिन । ٭ यौमे तग़ाबुन हार का दिन । ٭ यौमे फ़स्ल फै़सले या जुदाई व इम्तियाज़ का दिन वग़ैरा ।

क़ियामत कब आएगी ?

क़ियामत कब आएगी ? इस का ह़क़ीक़ी इ़ल्म तो अल्लाह पाक और अल्लाह पाक की अ़त़ा से उस के ह़बीब, त़बीबों के त़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को है लेकिन क़ुरआने करीम और अह़ादीसे मुबारका में क़ियामत क़ाइम होने की कई अ़लामात बयान फ़रमाई गई हैं, इन अ़लामात का ज़ाहिर होना क़ियामत के जल्द आने की निशान देही करता है । आज के बयान में हम "क़ियामत की अ़लामात" के बारे में सुनेंगे । ऐ काश ! हमें सारा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ मुकम्मल सुनना नसीब हो जाए । आइए ! सब से पेहले एक ह़दीसे पाक सुनते हैं । चुनान्चे,

जिब्रीले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام बारगाहे मुस्त़फ़ा में

          ह़ज़रते उ़मर बिन ख़त़्त़ाब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : एक दिन हम नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के पास बैठे थे कि अचानक बिल्कुल सफे़द लिबास और निहायत काले बालों वाला एक शख़्स आया, उस पर न कोई सफ़र का असर था और न ही हम में से कोई उसे पेहचानता था । वोह आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के पास आ कर बैठ गया और उस ने अपने घुटने रसूले रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के मुबारक घुटनों से मिला कर अपने हाथ ज़ानू पर रख दिए और केहने लगा : ऐ मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) ! मुझे इस्लाम के बारे में बताइए । प्यारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : इस्लाम येह है कि तू इस बात की गवाही दे कि