Book Name:Qiyamat Ki Alamaat
क़ुर्बे क़ियामत की निशानियों में से येह हैं : (1) लोग रिश्तेदारों से तअ़ल्लुक़ तोड़ेंगे । (2) गुनाहों की कसरत होगी । (3) क़ुरआने करीम को (सोने चांदी से) आरास्ता किया जाएगा । (4) मर्द औ़रतों की और (5) औ़रतें मर्दों की मुशाबहत (मुत़ाबक़त) इख़्तियार करेंगी । (6) आदमी अपने वालिद की ना फ़रमानी करेगा और दोस्तों से भलाई करेगा । (7) गाने वालियों और (8) आलाते मूसीक़ी का रवाज आ़म हो जाएगा । उस वक़्त लोगों को लाल आंधी, ज़मीन में धंस जाने और शक्लें तब्दील होने से डरना चाहिए । (حلیۃ الاولیاء، ۳/۴۱۰،رقم ۴۴۴۸ ملتقطاً)
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! ग़ौर कीजिए ! इन में से कौन सा ऐसा काम है जो आज हमारे ज़माने में आ़म नहीं है । रिश्तेदारों से तअ़ल्लुक़ तोड़ देना क़ियामत की निशानियों में से बताया गया है । आज घरों और ख़ानदानों में छोटी छोटी बातों पर झगड़े होते हैं और फिर येही झगड़े बढ़ कर रिश्तेदारों से तअ़ल्लुक़ तोड़ देने की सूरत इख़्तियार कर लेते और ख़ानदान के अफ़राद कई कई सालों तक एक दूसरे का मुंह भी नहीं देखते ।
गुनाहों की कसरत को भी क़ियामत की निशानियों में से बयान किया गया है । आज हम अपने मुआ़शरे में देखें, तो हमें अन्दाज़ा होगा कि वोह कौन सा गुनाह है जो हमारे मुआ़शरे में नहीं पाया जा रहा । तन्हाई हो या मेह़फ़िल, घर हो या बाज़ार, शहर हों या गांव, हर जगह गुनाहों की भरमार है बल्कि अब तो गुनाहों की ऐसी ज़ियादती है कि ख़ुद को गुनाहों से बचाना मुश्किल तरीन काम हो गया है ।
क़ुरआने पाक को आरास्ता किया जाना भी क़ियामत की निशानियों में से बयान हुवा है । आज क़ुरआने पाक के ग़िलाफ़ को, उस के रह़्ल को, उस की बाईन्डिंग (यानी ऊपरी जिल्द) और सफ़ह़ात को तो बहुत सजाया जाता है मगर अपने किरदार को क़ुरआनी अख़्लाक़ से आरास्ता करने वाले कम होते जा रहे हैं । आज क़ुरआने पाक जहां रखा जाए, उस जगह की भी सजावट का ख़याल रखा जाता है लेकिन दिल, दिमाग़, फ़िक्र और सोच भी क़ुरआने पाक की तालीमात से सज जाए, उस की त़रफ़ धियान नहीं दिया जाता ।
मर्दों का औ़रतों और औ़रतों का मर्दों की मुशाबहत करना भी क़ियामत की निशानी है । ग़ौर कीजिए ! आज कौन सा ऐसा शोबा और कौन सा ऐसा काम है जिस में औ़रतें मर्दों की और मर्द औ़रतों की नक़्ल नहीं उतार रहे । आज मर्दों में देखें, तो कंगन पेहनने, औ़रतों की त़रह़ लम्बे बाल रखने, औ़रतों की त़रह़ नाक और कानों में ज़ेवरात पेहनने, सर पर हेर बैन्ड (Hair Band) लगाने, हाथों और पाउं को मेहंदी से रंगने समेत और कई कामों का रवाज भी बढ़ता दिखाई देता है, ह़ालांकि हमारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इसे भी क़ियामत की निशानियों में शुमार किया है और इस से मन्अ़ भी फ़रमाया है ।
इसी त़रह़ क़ियामत की एक निशानी येह भी बयान की गई है कि आदमी अपने वालिद की ना फ़रमानी और दोस्तों से भलाई करेगा, इस के नज़्ज़ारे भी हर त़रफ़ आ़म हैं । बाज़ लोगों का रवय्या अपने सगे बाप से बहुत सख़्त होता है मगर अपने दोस्तों के आगे बिछे चले जाते हैं, बाज़ लोगों को अपने सगे वालिद से अच्छा सुलूक करने की तौफ़ीक़ नहीं मिलती मगर अपने दोस्तों के साथ आए दिन पार्टियां और दावतें चल रही होती हैं, बाज़ लोग अपने वालिद की इतनी नहीं मानते